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This Article is From Feb 15, 2011

निठारी केस : कोली की सजा-ए-मौत बरकरार

नोएडा: सर्वोच्च न्यायालय ने निठारी में हुईं श्रृंखलाबद्ध हत्याओं के मामले में मृत्यदंड का सामना कर रहे सुरेंद्र कोली की सजा पर मंगलवार को अपनी मुहर लगा दी। अदालत ने कहा कि कोली का अपराध भयानक और वीभत्स था। अदालत ने कहा कि कोली, अपने नियोक्ता मोनिंदर सिंह पंधेर के नोएडा स्थित घर में पीड़ितों को बुलाने के बाद उनका गला घोंट देता था और उनके शवों के साथ बलात्कार की कोशिश करता था। उसके बाद वह शवों को टुकड़े-टुकड़े कर उसके कुछ हिस्से को पका कर खा जाता था। न्यायमूर्ति मरक डेय काटजू एवं न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा की पीठ ने कहा कि कोली द्वारा किया गया अपराध जघन्यतम मामलों की श्रेणी में आता है और वह मृत्युदंड से कम की सजा का हकदार नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय ने रिम्पा हलदर मामले में निचली अदालत द्वारा कोली के खिलाफ दिए गए मृत्युदंड को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा बरकरार रखे जाने से अपनी सहमति जताई है। सजा पर अपनी मुहर लगाते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने  पंधेर के बारे में कुछ नहीं कहा। निचली अदालत ने पंधेर को भी मृत्युदंड दिया था, लेकिन उच्च न्यायालय ने उसे बरी कर दिया था। निठारी हत्याकांड के खुलासे से दिसम्बर 2009 में उस समय सनसनी फैल गई थी, जब पंधेर के बंगले के पीछे नाले में मानव शरीर के हिस्से बरामद हुए थे। ये मानव अवशेष निठारी गांव की 19 युवा महिलाओं और बच्चों के थे, जिनके साथ पंधेर के बंगले में कथित रूप से बलात्कार किया गया था और फिर उनकी हत्या कर दी गई थी। कोली को इस हत्याकांड में पिछले वर्ष 22 दिसम्बर को मौत की चौथी सजा सुनाई गई थी।

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निठारी केस, हत्या, बर्बर