सुप्रीम कोर्ट का फाइल फोटो...
नई दिल्ली:
2008 के मालेगांव ब्लास्ट मामले में NIA ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल कर दिया है। NIA ने कहा है कि NDA के सत्ता में आने के बाद से यानि 2014 से इस मामले में किसी भी आरोपी को ज़मानत नहीं मिली है।
इससे पहले NIA ने कोर्ट में कहा था कि मामले के ट्रायल को धीमा करने के आरोप गलत हैं। हलफनामे में कहा गया कि इस मामले कि पैरवी कर रही NIA की पूर्व वकील रोहिणी सालियान के आरोप बेबुनियाद है कि उनके ऊपर दबाव डाला गया कि वो इस आरोपियों को लेकर नरम रवैया अपनाए या फिर केस को कमज़ोर करें।
एनआईए ने अपने हलफ़नामे में ये भी कहा कि NIA की पूर्व वकील रोहिणी सालियान का ये आरोप भी गलत है कि जब वो इस मामले में विशेष वकील थीं तो सभी आदेश NIA के पक्ष में थे। जांच एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 14 आरोपियों में से 4 को 2011 और 2013 के बीच ज़मानत मिल गई थी। वो भी तब जब रोहिणी इस मामले को बॉम्बे हाईकोर्ट में लीड कर रही थीं।
जांच एजेंसी ने ये हलफ़नामा उन दो याचिकाओं के जवाब में दिया है, जिसमें ये मांग कि गई थी कि एनआईए की पूर्व वकील रोहिणी सालियान के आरोपों की जांच CBI या फिर SIT से कराई जाए। साथ ही इस मामले में NIA के लिए विशेष वकील नियुक्त किया जाए, ताकि मामले कि निष्पक्ष सुनवाई हो सके। सुप्रीम कोर्ट अगले हफ्ते मामले की सुनवाई कर सकता है।
इससे पहले NIA ने कोर्ट में कहा था कि मामले के ट्रायल को धीमा करने के आरोप गलत हैं। हलफनामे में कहा गया कि इस मामले कि पैरवी कर रही NIA की पूर्व वकील रोहिणी सालियान के आरोप बेबुनियाद है कि उनके ऊपर दबाव डाला गया कि वो इस आरोपियों को लेकर नरम रवैया अपनाए या फिर केस को कमज़ोर करें।
एनआईए ने अपने हलफ़नामे में ये भी कहा कि NIA की पूर्व वकील रोहिणी सालियान का ये आरोप भी गलत है कि जब वो इस मामले में विशेष वकील थीं तो सभी आदेश NIA के पक्ष में थे। जांच एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 14 आरोपियों में से 4 को 2011 और 2013 के बीच ज़मानत मिल गई थी। वो भी तब जब रोहिणी इस मामले को बॉम्बे हाईकोर्ट में लीड कर रही थीं।
जांच एजेंसी ने ये हलफ़नामा उन दो याचिकाओं के जवाब में दिया है, जिसमें ये मांग कि गई थी कि एनआईए की पूर्व वकील रोहिणी सालियान के आरोपों की जांच CBI या फिर SIT से कराई जाए। साथ ही इस मामले में NIA के लिए विशेष वकील नियुक्त किया जाए, ताकि मामले कि निष्पक्ष सुनवाई हो सके। सुप्रीम कोर्ट अगले हफ्ते मामले की सुनवाई कर सकता है।
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