नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal-NGT) ने 7 नवंबर से लेकर 30 नवंबर तक पटाखों पर बैन लगाने की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. इसके साथ ही NGT ने मामले में सभी राज्यों से कहा है कि अगर वो अपनी रिपोर्ट दाखिल करना चाहते हैं तो कल शाम ( 6 नवंबर) 4:00 बजे तक कर सकते हैं. दिल्ली सरकार ने भी एनजीटी से कल तक का वक्त मांगा है, ताकि प्रदूषण को लेकर आज होने वाली मीटिंग में लिए गए फैसलों की जानकारी एनजीटी को दी जा सके.
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के वक़ील ने एनजीटी में कहा कि अभी तक ऐसा कोई स्टडी नहीं है जिससे ये साफ़ हो सके कि पटाखों को जलाने से कोविड के मामले बढ़ेंगे. इस पर कोर्ट ने वकील को फटकारते हुए कहा कि क्या आपको पर्यावरण कानूनों की जानकारी है? अगर है तो आपको पता होगा कि किसी भी चीज़ को लागू करने के लिए स्टडी रिपोर्ट की जरूरत होती है, न कि किसी भी चीज़ पर बैन लगाने के लिए स्टडी की जरूरत होती.
इस बीच, दिल्ली सरकार आज शाम 4 बजे एक मीटिंग कर रही है. मीटिंग में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए और कदम उठाए जाने पर फैसला हो सकता है. दिल्ली सरकार इस बैठक में लिए गए फैसलों पर एक रिपोर्ट कल कोर्ट में दाख़िल करेगी. उधर, असम ने कहा कि हमारे यह पराली जलाने की समस्या नहीं है. इसलिए हमारे यहाँ हवा साफ़ है, हमें पटाखे जलाने की इजाज़त दी जाए.
कोर्ट ने कहा कि जिन राज्यों में हवा Moderate स्तर पर है, वहाँ पटाखे जलाये जा सकते हैं लेकिन जहाँ पर हवा POOR CATEGORY में हैं, वहाँ पर हम पटाखों को बैन करने को लेकर सुनवाई कर रहे हैं. बता दें कि पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है. आज भी राजधानी के व्यस्ततम इलाकों में शामिल आईटीओ, कॉमनेल्थ गेम्स और प्रगति मैदान के आसपास सुबह भारी स्मॉग देखा गया. स्मॉग धूल और धुएं और विषाक्त कणों का मिश्रण होता है. विशेषज्ञों के अनुसार, बेहद खराब श्रेणी का वायु प्रदूषण लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है. खासकर अस्थमा और पहले से ही अन्य बीमारियों से परेशान लोगों के लिए यह बेहद चिंता का विषय है.
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