कश्मीर घाटी के लोगों को दिल्ली के और नजदीक लाने के लिए मोदी सरकार नई पहल कर रही है। सरकार ने तय किया है कि चुनाव निपटने के बाद वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों को नियमित तौर पर श्रीनगर भेजा जाएगा। इन मंत्रियों से कहा जाएगा कि वे घाटी के लोगों खासतौर से युवाओं के साथ संवाद स्थापित करें ताकि उनकी भावनाएं और समस्याएं खुल कर सामने आ सकें।
सरकार के फैसले के मुताबिक शुरुआत में वरिष्ठ मंत्रियों जैसे रक्षा, वित्त, विदेश, गृह और रेल मंत्रियों को श्रीनगर भेजा जाएगा। मंत्रियों से मुलाकात के लिए कश्मीरी युवाओं के कार्यक्रम कनवेंशन सेंटर में रखे जाएंगे। कार्यक्रम में प्रश्नोत्तर शामिल होंगे ताकि युवा अपने दिल की बात खुल कर कह सकें।
बाद में अन्य महत्वपूर्ण मंत्रालय जैसे ऊर्जा, स्वास्थ्य, मानव संसाधन विकास संभाल रहे मंत्रियों को भी वहां भेजा जाएगा। कश्मीर में मंत्रियों को भेजने के लिए एक रोस्टर तैयार करने पर भी विचार हो रहा है।
हाल ही में श्रीनगर का दौरा कर वापस आए वित्तमंत्री अरुण जेटली का एक ऐसा ही कार्यक्रम बुधवार को हुआ था। इस कार्यक्रम में युवाओं ने वित्तमंत्री से रोजगार के नए अवसरों, केंद्र सरकार की ओर से मुहैया कराई जा रही सुविधाओं, छात्रवृत्तियों, सूचना तकनीक के नए उद्यमों आदि के बारे में गंभीर प्रश्न पूछे थे।
एक खास बात ये सामने आई थी कि कश्मीर की नई पीढ़ी पुरानी बातों को छोड़कर आगे बढ़ना चाहती है। पढ़े-लिखे और समझदार नौजवानों को रोजगार के नए मौकों की तलाश है। भारत के दूसरे हिस्सों के युवाओं की ही तरह उसे भी लगता है कि केंद्र की मोदी सरकार इस बारे में उसकी मदद कर सकती है।
अलगाववादियों के प्रोपेगंडा से भी अब कश्मीरी युवक दूर होना चाह रहे हैं। राजनीतिक तौर पर चाहे उनके विकल्प सीमित हों मगर उसकी बातों में अब भविष्य के लिए खुद की योजनाओं का उल्लेख है और साथ ही अपने पैरों पर खड़े होने की चिंता भी।
केंद्रीय मंत्रियों को अपने बीच पा कर वो न सिर्फ इन तमाम बातों पर अपने सवालों के जवाब पा सकते हैं बल्कि उन्हें सरकार की सोच जानने और समझने में आसानी भी होगी।
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