एनडीटीवी की रचनात्मक पत्रकारिता को एक बार फिर मान्यता मिली है. एनडीटीवी के पत्रकार सुशील कुमार महापात्र को प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका अवॉर्ड-2019 से नवाजा गया है. उन्हें हिंदी कैटेगरी (ब्रॉडकास्ट) में यह पुरस्कार मिला. 'हरियाणा की जहरीली नहर' पर की गई सीरीज़ के लिए उन्हें रामनाथ गोयनका अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है.
सुशील महापात्र को दूसरी बार यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला है. इससे पहले, उन्हें 2017 में रामनाथ गोयनका अवॉर्ड दिया गया था. उस वक्त उन्हें 'कूड़ा बीनने वालों पर जीएसटी के असर' से जुड़ी रिपोर्ट के लिए यह पुरस्कार प्रदान किया गया था.
सुशील कुमार महापात्र को 'काले पानी की नहर का सफेद सच' सीरीज़ के लिए अवॉर्ड दिया गया है, जिसमें दिखाया गया था कि हरियाणा के पलवल, बल्लभगढ़ और फरीदाबाद इलाकों में कैसे नहर के ज़हरीले पानी की वजह से लोगों को अलग-अलग बीमारियां हो रही हैं. लोग कैंसर जैसी बीमारी से भी संक्रमित हो रहे हैं. इस स्टोरी के बाद कुछ इलाकों में प्रशासन द्वारा कार्रवाई भी की गई थी. कुछ फैक्टरियों के खिलाफ प्रशासन ने कड़े कदम उठाए थे. NDTV इंडिया पर इस स्टोरी को कई महीने तक फॉलो किया गया था. इस विषय पर कुल चार स्टोरी की एक की गई थी.
पहली स्टोरी 22 फरवरी, 2019 को Prime Time में चली थी, जिसमें हमने दिखाया था कि कैसे पलवल के धतीर इलाके की नहर पूरी तरह जहरीली हो गई है. फैक्टरी से निकल रहे कैमिकल-भरे पानी ने समूची नहर को ज़हरीला बना दिया है. नहर का पानी कतई काला भी हो गया है, और इसी ज़हरीले पानी को किसान खेती में इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसके चलते काला गेहूं पैदा हो रहा है, जिसे खाने के लिए कुछ किसान मजबूर हैं. ज़हरीले पानी की वजह से लोगों को कई तरह की बीमारियां भी हो रही हैं, जिनमें कैंसर जैसी बीमारी भी शामिल है. हमने कई कैंसर मरीज़ों का इंटरव्यू भी किया था. 26 अगस्त, 2019 को इम्पैक्ट स्टोरी की गई. इसके बाद हम बल्लभगढ़ के निकट बसे एक और गांव में गए और तीसरी स्टोरी की, जो 29 अगस्त को टेलीकास्ट हुई थी और चौथी स्टोरी 24 सितम्बर 2019 को टेलीकास्ट हुयी थी. इस स्टोरी में सुशील महापात्र ने दिखाया था कि कैसे प्रतापगढ़ में एसटीपी (सिवेज ट्रीटमेंट प्लान) जहरीले पानी से कैमिकल को साफ करने में सक्षम नहीं है.
हमारा मकसद अलग-अलग इलाकों में जाकर लोगों की समस्या को हाइलाइट करना था. सीरीज़ की आखिरी स्टोरी हमने फरीदाबाद में प्रतापगढ़ स्थित सीवेज ट्रीटमेंट प्लान्ट से की थी, जिसमें दिखाया गया था कि यह प्लान्ट काम नहीं कर रहा है, और यह फैक्टरी से निकले पानी में से कैमिकल साफ करने के लिए सक्षम ही नहीं है.
VIDEO: जहां 'काले पानी' के सहारे चलती है ज़िन्दगी
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