हिंद महासागर में चीन पर नजर रखेगी वायुसेना, तेजस से लैस होगी 18वीं स्क्वाड्रन

हिंद महासागर में चीन पर नजर रखने के लिए वायुसेना के देसी लड़ाकू विमान तेजस का दूसरा स्क्वॉड्रन बुधवार से ऑपेरशनल हो जाएगा.

हिंद महासागर में चीन पर नजर रखेगी वायुसेना, तेजस से लैस होगी 18वीं स्क्वाड्रन

खास बातें

  • हिंद महासागर में अब चीन पर होगी भारत की नजर
  • 18वें स्क्वॉड्रन को तेजस से किया जा रहा है लैस
  • 27 मई से ऑपरेशनल हो जाएगी स्क्वॉड्रन
नई दिल्ली:

हिंद महासागर (Indian Ocean) में चीन (China) पर नजर रखने के लिए वायुसेना (Indian Air Force) के देसी लड़ाकू विमान तेजस (Fighter Jet Tejas) का दूसरा स्क्वॉड्रन बुधवार से ऑपेरशनल हो जाएगा. तमिलनाडु के कोयंबटूर के करीब सुलुर स्थित एयरफोर्स स्टेशन पर 18वीं स्क्वाड्रन की तैनाती होगी. 27 मई को वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया 18वीं स्क्वॉड्रन को ऑपरेशनल करेंगे. लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट यानी कि LCA तेजस से सुसज्जित होने वाली 18वीं स्क्वॉड्रन वायुसेना का तेजस उड़ाने वाली दूसरी स्क्वॉड्रन होगी. यह तेजस पुराने तेजस से एडवांस है जिससे इसकी ताकत और बढ़ गई है . तेजस का पहला स्क्वॉड्रन बेंगलुरु में 2016 में दो लड़ाकू विमान के साथ शुरू हुआ था.

हिंद महासागर में चीन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए 18वीं स्क्वॉड्रन को ऑपरेशनल किया जा रहा है. पहले यह स्क्वॉड्रन मिग 27 की थी जो अब रिटायर हो चुका है. वायुसेना के 18वीं स्क्वॉड्रन को फ्लाइंग बुलेट्स भी कहा जाता है. इसकी स्थापना 15 अप्रैल, 1965 में की गई थी जिसका लक्ष्य है- 'तीव्र और निर्भय'.

18वीं स्क्वॉड्रन ने 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में हिस्सा लिया था. ये स्क्वॉड्रन सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से भी सम्मानित हो चुका है. इसके फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था. इस स्क्वाड्रन को श्रीनगर में सबसे पहले लैंड करने और ऑपरेट करने के लिए उन्हें 'डिफेंडर ऑफ कश्मीर वैली' के उपाधि से नवाजा गया. 2015 में 18वीं स्क्वॉड्रन को राष्ट्रपति स्टैंडर्ड सम्मान से भी सम्मानित किया गया था.

अगर तेजस की खासियत पर गौर करें तो ये पूरी तरह देश में बना है. सबसे हल्का सुपरसॉनिक चौथी पीढ़ी का लड़ाकू एयरक्राफ्ट है. हल्का होने की वजह से यह दुश्मनों के एयरक्राफ्ट को आसानी से छका सकता है.

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