Bihar Election Results: बिहार विधानसभा चुनाव में जीत के बाद सत्तारूढ़ एनडीए (NDA) की रविवार को बैठक हुई. इसमें सर्वसम्मति से नीतीश कुमार को एनडीए विधायक दल का नेता चुना गया. इससे नीतीश कुमार के लगातार चौथी बार बिहार के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है.इससे पहले 12 बजे के करीब भाजपा और जदयू के विधायक दल की अलग-अलग बैठक भी पटना में हुई. NDA की बैठक में भाजपा-जदयू (BJP-JDU) की अगुवाई वाले गठबंधन के नेता का चुनाव हुआ. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के नाम पर बैठक में औपचारिक मुहर लगी. नीतीश कुमार के आवास पर हुई इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी शामिल हुए.
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इस बैठक में भाजपा, जदयू, सहयोगी दल हम और वीआईपी (VIP) के विधायक शामिल होंगे. कुछ निर्दलीय विधायकों ने भी एनडीए को समर्थन देने के संकेत दिए हैं. एनडीए चुनाव के पहले ही नीतीश कुमार को अपना मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित कर चुका था. भाजपा (BJP) ने भी स्पष्ट तौर पर कहा था कि एनडीए में चाहे किसी भी पार्टी को ज्यादा सीटें मिलें, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ही होंगे.
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नीतीश कुमार पिछली विधानसभा का कार्यकाल पूरा होता देख राज्यपाल फागू चौहान को पहले ही अपना इस्तीफा सौंप चुके थे. राज्यपाल ने नीतीश कुमार को नई सरकार का गठन होने तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहने को कहा है. जीत के बाद पहली प्रेस कान्फ्रेंस में मुख्यमंत्री के सवाल पर नीतीश कुमार ने कहा था कि एनडीए विधायक दल की बैठक में विस्तृत रूप से इस मुद्दे पर चर्चा होगी और तभी इस पर निर्णय लिया जाएगा. बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम 10 नवंबर को घोषित हुए थे.
भाजपा भले ही चुनाव के पहले और नतीजों के बाद में यह भरोसा दे चुकी है कि नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री पद ग्रहण करेंगे. हालांकि नीतीश के लगातार चौथी बार सीएम बनने को लेकर अटकलें जारी हैं, क्योंकि जदयू चुनाव में सिर्फ 45 सीटें हासिल कर पाई है. उसे महज 15 फीसदी वोट चुनाव में मिले हैं. RJD नीतीश को मुख्यमंत्री बनने को लेकर सवाल खड़े कर रही है.
एनडीए को विधानसभा चुनाव में 125 सीटें मिली हैं, जो बहुमत से सिर्फ 2 ज्यादा हैं. एनडीए में सर्वाधिक 73 सीटें भाजपा को मिली हैं. गठबंधन में सबसे बड़ा दल होने के साथ वह बड़े भाई की स्थिति में है. चुनावी नतीजे भले ही एनडीए के पक्ष में हों, लेकिन इसे नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री के खिलाफ जनादेश माना जा रहा है. आलोचकों का यह भी कहना है कि भाजपा का चिराग पासवान की अगुवाई वाली लोजपा को परोक्ष समर्थन था, ताकि नीतीश कुमार के प्रभुत्व को कम किया जा सके. चिराग की पार्टी को चुनाव में महज एक सीट और 5 फीसदी वोट मिले. हालांकि उसने दो दर्जन से ज्यादा सीटों पर जदयू की हार में निर्णायक भूमिका निभाई.
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