यह ख़बर 26 जून, 2014 को प्रकाशित हुई थी

दिसंबर 2018 तक नवी मुंबई के अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से उड़ान भर सकता है पहला विमान

फाइल फोटो

नवी मुंबई:

नवी मुंबई में प्रस्तावित नए अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से पहला विमान दिसंबर 2018 तक उड़ान भर सकता है, हवाई अड्डे को विकसित करने वाली नोडल एजेंसी शहरी एवं औद्योगिक विकास निगम सिडको का दावा है कि भूमि अधिग्रहण और बाकी अड़चनें लगभग दूर हो गई हैं, ऐसे में परियोजना से विस्थापित लोगों को पुष्पक नगर में ज़मीन देने के लिए 15 अगस्त को लॉटरी निकाली जा सकती है।

सिडको के एमडी संजय भाटिया ने एनडीटीवी से कहा "दिसंबर 2018 से पहली फ्लाइट जाना चाहिए।"
 
नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट, की परिकल्पना 1998 में हुई थी, तब इसका शुरुआती बजट 4766 करोड़ रुपये था, 2014 में अनुमानित लागत 14573 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है, लेकिन अब भी निर्माण शुरू नहीं हो पाया है।
 
मुंबई एयरपोर्ट अब बढ़ती भीड़ के बोझ को बर्दाश्त नहीं कर सकता, लेकिन 2007 में कैबिनेट से सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के बाद भी एयरपोर्ट के निर्माण के लिए एक ईंट भी नहीं जोड़ी गए, कोर्ट-कचहरी, पर्यावरण मंजूरी मिलने के बाद भी एयरपोर्ट के लिए जिन 18 गांवों की जमीन का अधिग्रहण होना है, उसमें दो के कुछ लोग अब भी सरकार से बेहतर पुनर्वास पैकेज चाहते हैं, उनकी मांग है उन्हें 35 फीसदी विकसित ज़मीन मिले, तीन की एफएसआई दी जाए, प्रति हैक्टेयर ज़मीन के बदले 6.25 करोड़ रु का नकद मुआवज़ा मिले या फिर 12.5 स्कीम के अंतर्गत प्लॉट मिले, तीन की एफएसआई दी जाए, प्रति हैक्टेयर 16 करोड़ रु का मुआवज़ा मिले।
 
विस्थापितों के लिए संघर्षरत अंतरराष्ट्रीय विमानतल प्रकल्पग्रस्त समिति के अध्यक्ष पंढरनीथ पांडुरंग किणी का कहना है कि "पारगांव, ओवला, कोली के तीन गांव थोड़ा अब भी हिचकिचा रहे हैं, उनको तीन एफएसआई और नकद पैसा चाहिए।"
 
एयरपोर्ट के प्लान के मुताबिक मेन रनवे और ऑपरेशन के कोर एरिया के लिए छह गांवों की जमीन जरूरी है, बगैर 457 हैक्टेयर की ज़मीन अधिगृहीत किए एयरपोर्ट का निर्माण मुमकिन नहीं होगा, चार गांव तैयार हो गए हैं, लेकिन पारगांव और ओवला के किसानों को अब भी प्रशासन समझाने बुझाने में ही जुटा है, सिडको के एमडी संजय भाटिया के मुताबिक "पारगांव के लोग आए थे, 20-25 लोगों ने सहमति दे दी है, 10 गांवों का सर्वे हो गया है।"
 
एयरपोर्ट के विस्थापितों के लिए जस्टिस पीबी सावंत, जस्टिस कोलशे पाटिल, भारत मुक्ति मोर्चा और भी कई संगठनों ने झंडा बुलंद किया था, सबकी एक ही मांग थी, पहले पूरा पुनर्वसन फिर विस्थापन। सिडको परियोजना के लिए योग्यता (आरएफक्यू) की प्रक्रिया भी शुरू कर चुका है।


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