बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह. (फाइल फोटो)
पुरी:
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना (Ayushman Bharat Yojna) को स्वीकार नहीं करने के लिए ओडिशा में बीजद सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा कि 2019 के चुनाव में हार के डर से मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने ऐसा किया. हालांकि, बीजद ने शाह की टिप्पणी खारिज करते हुए कहा कि राज्य सरकार का स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम-बीजू स्वास्थ्य कल्याण योजना आयुष्मान भारत योजना से बहुत बेहतर है.
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पार्टी की महिला इकाई की बैठक में शाह ने कहा कि अगर राज्य में भाजपा सत्ता में आएगी तो वह आयुष्मान भारत कार्यक्रम को लागू करेगी. उन्होंने कहा, 'आयुष्मान भारत का फायदा लेने से ओडिशा के लोगों को कोई नहीं रोक सकता. गरीबों की मदद करने से आप भाजपा को नहीं रोक सकते. अगर 2019 के चुनाव में राज्य में भाजपा की सरकार बनती है तो हम पहले ही दिन आयुष्मान भारत कार्यक्रम को लागू करेंगे.'
स्वास्थ्य बीमा योजना को अस्वीकार करने के लिए पटनायक पर निशाना साधते हुए शाह ने कहा, 'नवीन बाबू डरे हुए हैं कि अगर राज्य में योजना आरंभ कर दी गयी तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और बढ़ जाएगी. मुख्यमंत्री को अपनी कुर्सी की चिंता है, ओडिशा के गरीब लोगों की नहीं.'
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ओडिशा के अलावा दिल्ली, केरल, पंजाब और तेलंगाना ने भी इस योजना को लागू करने से इनकार कर दिया है. इन राज्यों ने कहा है कि वह तब तक योजना में शामिल नहीं होंगे, जब तक उन्हें इससे बेहतर स्वास्थ्य बीमा योजना नहीं मिलतीं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तो इस योजना को एक और सफेद हाथी करार दिया है.
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क्या है आयुष्मान भारत योजना?
इस महत्वाकांक्षी योजना का लक्ष्य प्रत्येक परिवार को सालाना पांच लाख रुपये की कवरेज दिया जाएगा. इससे 10.74 करोड़ गरीब परिवार लाभान्वित होंगे. इन परिवारों के लोग द्वितीयक और तृतीयक श्रेणी के तहत पैनल के अस्पतालों में जरूरत के हिसाब से भर्ती हो सकते हैं. वैसे इस योजना का नाम बदलकर प्रधानमंत्री जन आरोग्य अभियान कर दिया गया है. यह योजना लाभार्थियों को नकदी रहित स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराएगी. इससे अस्पताल में भर्ती होने पर आने वाले खर्च में कमी आएगी जो लोगों को और निर्धन बना देता है.
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इससे भयंकर स्वास्थ्य समस्याओं के दौरान उत्पन्न वित्तीय जोखिम कम होगा. पात्र लोग सरकारी और सूचीबद्ध निजी अस्पतालों में सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं.इस योजना के दायरे में गरीब, वंचित ग्रामीण परिवार और शहरी श्रमिकों की पेशेवर श्रेणियां आएंगी. नवीनतम सामाजिक आर्थिक जातीय जनगणना (एसईसीसी) के हिसाब से गांवों में ऐसे 8.03 करोड़ और शहरों में 2.33 परिवार हैं. योजना का लाभ करीब 50 करोड़ लोगों को मिलेगा.
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एसईसीसी के डाटाबेस में वंचना के आधार पर पात्रता तय की जा रही है. ग्रामीण क्षेत्रों में वंचना की श्रेणियों (डी1,डी2,डी3,डी4,डी5, डी6 और डी7) के आधार पर लाभार्थियों की पहचान की गई है. शहरी क्षेत्रों में 11 पेशवेर मापदंड पात्रता तय करेंगे. इसके अलावा जिन राज्यों में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना है, उसके लाभार्थी भी इस नयी योजना के अंतर्गत आएंगे. इस योजना से 27 राज्य जुड़े हैं. दिल्ली, तेलंगाना और ओडिशा ने इस योजना से जुड़ने के लिये मना कर दिया है.
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योजना से 15000 अस्पताल जोड़े जाएंगे. अभी तक 13 हजार अस्पताल जोड़े गए हैं. माना जा रहा है कि भारत जैसे देश में जहां महंगी होती मेडिकल सेवाएं के बीच आम आदमी को गरीब बना रही हैं, यह योजना मोदी सरकार के लिये गेम चेंजर साबित हो सकती है.
वीडियो- पीएम मोदी ने आयुष्मान भारत का किया शुभारंभ
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पार्टी की महिला इकाई की बैठक में शाह ने कहा कि अगर राज्य में भाजपा सत्ता में आएगी तो वह आयुष्मान भारत कार्यक्रम को लागू करेगी. उन्होंने कहा, 'आयुष्मान भारत का फायदा लेने से ओडिशा के लोगों को कोई नहीं रोक सकता. गरीबों की मदद करने से आप भाजपा को नहीं रोक सकते. अगर 2019 के चुनाव में राज्य में भाजपा की सरकार बनती है तो हम पहले ही दिन आयुष्मान भारत कार्यक्रम को लागू करेंगे.'
स्वास्थ्य बीमा योजना को अस्वीकार करने के लिए पटनायक पर निशाना साधते हुए शाह ने कहा, 'नवीन बाबू डरे हुए हैं कि अगर राज्य में योजना आरंभ कर दी गयी तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और बढ़ जाएगी. मुख्यमंत्री को अपनी कुर्सी की चिंता है, ओडिशा के गरीब लोगों की नहीं.'
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ओडिशा के अलावा दिल्ली, केरल, पंजाब और तेलंगाना ने भी इस योजना को लागू करने से इनकार कर दिया है. इन राज्यों ने कहा है कि वह तब तक योजना में शामिल नहीं होंगे, जब तक उन्हें इससे बेहतर स्वास्थ्य बीमा योजना नहीं मिलतीं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तो इस योजना को एक और सफेद हाथी करार दिया है.
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क्या है आयुष्मान भारत योजना?
इस महत्वाकांक्षी योजना का लक्ष्य प्रत्येक परिवार को सालाना पांच लाख रुपये की कवरेज दिया जाएगा. इससे 10.74 करोड़ गरीब परिवार लाभान्वित होंगे. इन परिवारों के लोग द्वितीयक और तृतीयक श्रेणी के तहत पैनल के अस्पतालों में जरूरत के हिसाब से भर्ती हो सकते हैं. वैसे इस योजना का नाम बदलकर प्रधानमंत्री जन आरोग्य अभियान कर दिया गया है. यह योजना लाभार्थियों को नकदी रहित स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराएगी. इससे अस्पताल में भर्ती होने पर आने वाले खर्च में कमी आएगी जो लोगों को और निर्धन बना देता है.
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योजना से 15000 अस्पताल जोड़े जाएंगे. अभी तक 13 हजार अस्पताल जोड़े गए हैं. माना जा रहा है कि भारत जैसे देश में जहां महंगी होती मेडिकल सेवाएं के बीच आम आदमी को गरीब बना रही हैं, यह योजना मोदी सरकार के लिये गेम चेंजर साबित हो सकती है.
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