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This Article is From Nov 30, 2016

सिनेमाहॉल में राष्ट्रगान : कहां से आई प्रथा, क्यों हुआ विवाद

सिनेमाहॉल में राष्ट्रगान : कहां से आई प्रथा, क्यों हुआ विवाद
सिनेमाघरों में फिल्म से पहले राष्ट्रगान पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है.
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जब सरकार आदेश भेजेगी तब यह लागू किया जाएगा.
करीब 40 साल पहले यह प्रथा बंद कर दी गई.
सिनेमाहाल में फिल्म से पहले राष्ट्रगान बजाए जाने से कई विवाद भी हुए.
नई दिल्ली: राष्ट्रगान बजाने और उसके सम्मान में खड़े होने की परंपरा कहां से आई. क्या संविधान में ऐसी कोई व्यवस्था है कि लोगों को राष्ट्रगान के सम्मान में खड़ा होना ही चाहिए. सिनेमा हाल में राष्ट्रगान बजाने का रिवाज कहां से आया. कौन-कौन से राज्य हैं जहां पर इस प्रथा का पालन होता है. कौन-सा राज्य है जहां पर इसकी शुरुआत हुई.

सुप्रीम कोर्ट ने आज स्थिति साफ कर दी है. कोर्ट ने कहा है कि हर सिनेमाहाल में फिल्म से पहले राष्ट्रगान बजाया जाएगा और मौजूद दर्शकों को खड़ा होना होगा.

सिनेमाघरों को सरकार भेजेगी आदेश
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के संबंध में जब नेशनल एसोसिएशन ऑफ मोशन पिक्चर एक्जीबीटर के अध्यक्ष राजन गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने कहा कि फिलहाल यह आदेश उन्हें प्राप्त नहीं हुआ है. उनका कहना है कि जब सरकार उन्हें आदेश भेजेगी तब यह लागू किया जाएगा.

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देश के हर सिनेमाहॉल में फिल्म से पहले तिरंगा दिखाते हुए राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य होगा : सुप्रीम कोर्ट
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राष्ट्रगान के सम्मान और अपमान को लेकर कई बार सवाल उठते रहे हैं. कोई पीड़ित होता है तो कई प्रताड़ित. आइए आपको बताते हैं कि राष्ट्रगान के समय खड़े होने के नियम को कानूनी अमलीजामा कब कहां पहनाया गया. वैसे कई अन्य देशों में भी सिनेमा हाल और थिएटरों में राष्ट्रगान बजाने की प्रथा है. भारत में आजादी के कुछ समय बाद तक यह प्रथा सिनेमा हॉल में थी. फिल्म समाप्त होने के बाद ऐसा होता था. लेकिन फिल्म समाप्त होने के बाद ऐसी प्रथा होने के कारण लोग घर जाने की जल्दी में रुकना पसंद नहीं करते थे और एक प्रकार से राष्ट्रगान के समय लोग सिनेमा हॉल से बाहर जाने लगते थे. यह राष्ट्रगान के अपमान के समान था और फिर धीरे-धीरे सिनेमाघरों में यह प्रथा अपने आप बंद हो गई.

कैसे आई सिनेमाहाल में राष्ट्रगान गाने की प्रथा
राजन गुप्ता की जानकारी में भी करीब 40 साल पहले यह प्रथा बंद कर दी गई. उनके अनुसार भारत में चीन के आक्रमण के बाद सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने की प्रथा आई थी. फिर सरकार ने ही एक आदेश दिया जिसके बाद राष्ट्रगान के बजाए जाने को रोका गया. गुप्ता का कहना है कि सरकार का यह आदेश इसी वजह से आया था कि कई लोगों ने शिकायत की थी कि सिनेमाघरों में राष्ट्रगान का अपमान होता है.

मनोरंजन कर विभाग का क्या कहना है
रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली सरकार के मनोरंजन कर विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सिनेमाघरों को सरकार की ओर से कभी भी यह आदेश नहीं दिया गया कि राष्ट्रगान बंद कर दिया जाए.

हरियाणा में नोटिस
जानकारी के लिए बता दें कि हरियाणा में स्थानीय प्रशासन द्वारा सिनेमा हाल में राष्ट्रगान बजाए जाने के लिए नोटिस दिया गया था. इस नोटिस में कहा गया था कि सिनेमा हाल में राष्ट्रगान बजाने से इसका अपमान होता है. इसलिए इसे बंद किया जाए.

गृहमंत्रालय का राज्यों को लिखा खत
उल्लेखनीय है कि गृहमंत्रालय द्वारा राज्यों के मुख्य सचिवों को भेजे गए एक पत्र में साफ कहा गया था कि सिनेमाहॉल में जहां फिल्में दिखाई जानी हैं वहां पर ऐसा करने से फिल्म प्रदर्शन में भी व्यवधान उत्पन्न होगा और इससे लोगों को दिक्कत भी होगी. इससे राष्ट्रगान के सम्मान होने के बजाय ज्यादा भ्रम पैदा होने की उम्मीद है.

क्यों हुआ विवाद
सिनेमाहाल में फिल्म से पहले राष्ट्रगान बजाए जाने से कई विवाद भी हुए. कोई इससे राष्ट्रगान के अपमान की बात कहता है, कोई न बजाने से अपमान की बात कहता है, कोई कहता है कि इससे देश में राष्ट्रभक्ति की भावना बढ़ेगा. कोई कहता है कि ऐसा करने से देश का भी अपमान होता है.यही वजह है कि सिनेमाहॉल में कोई नहीं हुआ तब विवाद हो गया. कभी किसी दिव्यांग के न खड़े होने से विवाद हो गया.

महाराष्ट्र सरकार ने बनाया कानून
इसके बाद महाराष्ट्र के कुछ लोगों ने प्रथा से जुड़ी व्यवस्था पर महाराष्ट्र सरकार से संपर्क साधा और इस संबंध में आदेश पारित करने की अपील की. 2002 में महाराष्ट्र सरकार ने विधानसभा से एक आदेश पारित कर कानून बनाया और यह व्यवस्था दी कि सिनेमाघरों में फिल्म दिखाए जाने से पहले राष्ट्रगान बजाया जाएगा और मौजूद लोगों को खड़ा होना होगा.

महाराष्ट्र में ऐसे आदेश के बाद तमिलनाडु में भी कुछ सिनेमाघरों ने इस प्रथा को जिंदा करने का प्रयास किया. टूट चुकी प्रथा को पुन: चालू करने में दिक्कतें भी आई. कई बार लोग नहीं खड़े हुए. इससे विवाद भी हुआ. कुछ लोग सरकार और सिनेमा मालिकों के इस रुख के खिलाफ कोर्ट की शरण में भी गए.

मद्रास हाईकोर्ट का आदेश
ऐसे ही एक मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने लोगों को सिनेमाहाल में राष्ट्रगान को बंद करने का आदेश देने से इनकार कर दिया था. याचिकाकर्ता की अपील थी कि सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजने के समय अक्सर लोग खड़े नहीं होते हैं और इससे इसका अपमान होता है. कोर्ट ने अपील खारिज कर दी थी. कोर्ट ने अपने आदेश में केंद्र के उस हलफनामे का हवाला दिया था जिसमें कहा गया था कि सिनेमा हाल में दर्शकों को खड़े होने की जरूरत नहीं है जब भी राष्ट्रगान न्यूज रील या डॉक्यूमेंट्री के रूप में बजाया जाएगा.

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