यह ख़बर 05 जनवरी, 2014 को प्रकाशित हुई थी

नरेंद्र मोदी ने कराधान प्रणाली की समीक्षा करने का वायदा किया

नई दिल्ली:

भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने रविवार को देश के कराधान प्रणाली की समीक्षा और सुधार करने का वायदा करते हुए कहा कि वर्तमान ढांचा आम लोगों के जीवन पर बोझ है।

योगगुरु रामदेव की ओर से आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, 'वर्तमान कर प्रणाली आम लोगों पर बोझ है। इसमें सुधार की जरूरत है और एक नयी व्यवस्था पेश किए जाने की जरूरत है। यह समय की जरूरत है।'

योगगुरु ने सभी तरह के कर को समाप्त कर एक एकल कर व्यवस्था पेश करने का सुझाव दिया है जो बैंक लेनदेन कर के रूप में हो। उन्होंने भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार से इस विषय पर रुख स्पष्ट करने की मांग की थी।

मोदी की इस टिप्पणी को महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि भाजपा कुछ समय से अपनी आंतरिक बैठकों में करों को समाप्त करने पर चर्चा करती रही है। नितिन गडकरी ने भी कहा था कि पार्टी आयकर, ब्रिकी कर, आबकारी कर को समाप्त करने के प्रस्ताव को दृष्टि पत्र में शामिल करने पर विचार कर रही है।

रामदेव ने भाजपा के सत्ता में आने पर राष्ट्रीय किसान आय आयोग समेत कुछ अन्य मुद्दों पर रुख स्पष्ट करने की मांग की थी।

नरेंद्र मोदी के साथ भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह और राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने इन प्रस्तावों का समर्थन करते हुए कहा कि पार्टी इन मुददों पर गंभीरता से विचार करेगी।

मोदी ने कहा, 'बाबा रामदेव ने भाजपा और व्यक्तिगत रूप से मुझे जो उम्मीदें की है, उसे पूरा करने मैं पूरा प्रयास करूंगा।'

मोदी ने कहा, 'भाजपा में इस विषय पर गंभीरता से विचार हो रहा है। भाजपा के लोग विशेषज्ञों के साथ चर्चा कर रहे हैं। सरसरी तौर पर कुछ समस्याएं नजर आती है, हम इन पर ध्यान देंगे और समाधान निकालेंगे।' उन्होंने कहा कि कई राज्यों ने चुंगी को बंद नहीं किया है, गुजरात में चुंगी बंद है।

जेटली ने कहा कि अत्यधिक करों के कारण कालेधन में इजाफा होता है क्योंकि लोग कर से बचने के लिए अवैध तरीके से धन को बाहर भेजते हैं।

उन्होंने कहा कि आम लोगों का जीवन जन्म लेने से मृत्यु तक कर देने से जुड़कर रह गया है जो सड़क से घर, सेवाकर, बिजली, पानी के अलावा आयकर जैसे करों के भुगतान से संबंधित है।

उन्होंने कहा, 'एक व्यक्ति कड़ी मेहनत से जो कुछ कमाता है, उसका एक छोटा सा हिस्सा ही बचा पाता है, शेष बाहर निकल जाता है। कराधान व्यवस्था को सरल बनाने की सख्त जरूरत है।'

भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने भी योगगुरु के सुझावों का समर्थन करते हुए कहा कि इसमें सुधार की जरूरत है। लेनदेन कर का विकल्प काफी अच्छा है। हम इस पर विचार करेंगे।

बहरहाल, मोदी ने आर्थिक बदहाली के लिए संप्रग सरकार की गलत आर्थिक नीतियों को दोषी ठहराते हुए कहा कि इसके कारण विनिर्माण क्षा में गिरावट आई है और अगर अर्थव्यवस्था में सुधार लाना है तो इस क्षेत्र को तत्काल मजबूत बनाए जाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि लौह अयस्क को बाहर भेजने के स्थान पर इस्पात के निर्यात किए जाने की जरूरत है जिससे लोगों को रोजगार भी मिलेगा और देश की अर्थव्यवस्था भी बेहतर होगी।

भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ने कहा कि इस्पात के उत्पादन के लिए बिजली की जरूरत होगी और बिजली के लिए कोयले की। लेकिन नीतिगत जड़ता की स्थिति के कारण कोयले नहीं मिल रहा है और बिजली का उत्पादन रुका है।

हाल के सोने की तस्करी की घटनाओं में वृद्धि का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि 60 और 70 के दशक में सोने की तस्करी चरम पर थी और उस समय अंडरवर्ल्ड का उद्भव हुआ। दिल्ली में ऐसी सरकार है जिसने सोने की तस्करी की स्थिति को बढावा देने वाली स्थिति पैदा कर दी है।

उन्होंने कहा, 'आज बालू की तस्करी शुरू हो गई है। हम भ्रष्टाचार की बात कर रहे हैं। यह कुनीतियों का परिणाम है। लोक कल्याणकारी नीतियों और निर्णय में पारदर्शिता लाकर भ्रष्टाचार पर काबू पाया जा सकता है।'

भाजपा नेताओं ने कालेधन के खिलाफ लड़ाई को आगे बढ़ाने पर जोर दिया और इस दिशा में वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के देशव्यापी यात्रा को याद किया।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने कई तरह के कौशल विकास समितियां बनाई हैं। इनसे प्रधानमंत्री भी जुड़े लेकिन इनकी ठीक से बैठकें नहीं हो पायी। गुजरात ने कौशल विकास कार्यक्रमों को आगे बढ़ा कर दिखाया है।

भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ने कहा कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को बढ़ाना है तो उत्पादन क्षमता को बढ़ाना होगा।

उन्होंने कहा कि दिल्ली की सरकार आज गुलाबी क्रांति (पिंक रिवोल्यूशन) की बात कर रही है और बड़े पैमाने पर पशु वधशाला खोले जा रहे हैं और इन पर करों में छूट और आसान ऋण उपलब्ध कराये जा रहे हैं। इसके कारण पशुधन समाप्त हो रहे हैं और पशुओं की तस्करी बढ़ गई है।

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भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि कांग्रेस नीत संप्रग के दौरान केवल 27 लाख नौकरियों का सृजन हुआ जबकि राजग के समय छह करोड़ युवाओं को रोजगार मिला था।