नरेंद्र दाभोलकर (फाइल फोटो)
मुंबई:
डॉ नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड की जांच कर रही सीबीआई ने मामले में आरोप पत्र दायर कर दिया है. सीबीआई ने अभी तक एक मात्र गिरफ्तार आरोपी डॉ वीरेंद्र सिंह तावड़े को मुख्य साजिशकर्ता बताया है.
सीबीआई के मुताबिक डॉ वीरेंद्र तावड़े ने दो अन्य लोगों के साथ मिलकर डॉ नरेंद्र दाभोलकर की हत्या की साजिश रची थी. माना जा रहा है कि उन दो लोगों में एक सारंग आकोलकर है जो साल 2009 के गोवा बम धमाकों में फरार आरोपी है. आकोलकर के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी है.
सीबीआई के मुताबिक एक जून 2016 को पनवेल में डॉ तावड़े के घर और पुणे में एक घर में तलाशी के दौरान कुछ दस्तावेज, मोबाइल नंबर और ईमेल की जानकारी मिली थी जो डॉ दाभोलकर की हत्या की साजिश से जुड़ी है और मामले में अहम सबूत साबित हो सकती है.
अंधश्रद्धा के खिलाफ अलख जगाने वाले डॉ नरेंद्र दाभोलकर की पुणे में 20 अगस्त 2013 को उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी जब वे सुबह की सैर के लिए निकले थे. हत्यारे मोटरसाइकिल पर आए थे और गोली मारकर फरार हो गए थे. शक है कि हत्या में इस्तेमाल मोटरसाइकिल भी डॉ वीरेंद्र तावड़े की थी. इसके अलावा हत्या में इस्तेमाल बंदूक का इंतजाम करने का आरोप भी तावड़े पर है.
आरोप है कि पेशे से इ एन टी डॉक्टर वीरेंद्र तावड़े साल 2001 में चिकित्सा का पेशा छोड़कर सनातन संस्था और हिन्दू जनजागृति समिति से जुड़ गए जो खुलेआम डॉ नरेंद्र दाभोलकर का विरोध करती थी. समिति ने डॉ नरेंद्र दाभोलकर सहित कई वामपंथी विचारधारा वाले नेताओं और पत्रकारों को अपनी ब्लैकलिस्ट में डाल रखा था. डॉ वीरेंद्र तावड़े डॉ नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड के अलावा कोल्हापुर के कॉमरेड गोविंद पानसरे हत्याकांड में भी आरोपी है. हालांकि संस्था का कहना है कि किसी का विरोध करने का अर्थ उसकी हत्या करना नहीं है. संस्था ने सीबीआई के सभी आरोपों को खारिज किया है.
सीबीआई के मुताबिक डॉ वीरेंद्र तावड़े ने दो अन्य लोगों के साथ मिलकर डॉ नरेंद्र दाभोलकर की हत्या की साजिश रची थी. माना जा रहा है कि उन दो लोगों में एक सारंग आकोलकर है जो साल 2009 के गोवा बम धमाकों में फरार आरोपी है. आकोलकर के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी है.
सीबीआई के मुताबिक एक जून 2016 को पनवेल में डॉ तावड़े के घर और पुणे में एक घर में तलाशी के दौरान कुछ दस्तावेज, मोबाइल नंबर और ईमेल की जानकारी मिली थी जो डॉ दाभोलकर की हत्या की साजिश से जुड़ी है और मामले में अहम सबूत साबित हो सकती है.
अंधश्रद्धा के खिलाफ अलख जगाने वाले डॉ नरेंद्र दाभोलकर की पुणे में 20 अगस्त 2013 को उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी जब वे सुबह की सैर के लिए निकले थे. हत्यारे मोटरसाइकिल पर आए थे और गोली मारकर फरार हो गए थे. शक है कि हत्या में इस्तेमाल मोटरसाइकिल भी डॉ वीरेंद्र तावड़े की थी. इसके अलावा हत्या में इस्तेमाल बंदूक का इंतजाम करने का आरोप भी तावड़े पर है.
आरोप है कि पेशे से इ एन टी डॉक्टर वीरेंद्र तावड़े साल 2001 में चिकित्सा का पेशा छोड़कर सनातन संस्था और हिन्दू जनजागृति समिति से जुड़ गए जो खुलेआम डॉ नरेंद्र दाभोलकर का विरोध करती थी. समिति ने डॉ नरेंद्र दाभोलकर सहित कई वामपंथी विचारधारा वाले नेताओं और पत्रकारों को अपनी ब्लैकलिस्ट में डाल रखा था. डॉ वीरेंद्र तावड़े डॉ नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड के अलावा कोल्हापुर के कॉमरेड गोविंद पानसरे हत्याकांड में भी आरोपी है. हालांकि संस्था का कहना है कि किसी का विरोध करने का अर्थ उसकी हत्या करना नहीं है. संस्था ने सीबीआई के सभी आरोपों को खारिज किया है.
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