नागा शांति वार्ता (Naga Peace Talk) में अक बार फिर अड़चनें आई हैं. बातचीत में शामिल नागालैंड के अग्रणी सशस्त्र विद्रोही समूह, एनएससीएन-आईएम अलग ध्वज और संविधान की मांग पर अड़ गया है. विद्रोही समूह ने शुक्रवार (18 सितम्बर) को कहा कि एक अलग ध्वज और संविधान के बिना, केंद्र सरकार के साथ सम्मानजनक शांति समझौता नहीं हो सकता. एनएससीएन-आईएम की एक संयुक्त परिषद की बैठक शुक्रवार को हुई, जिसमें "नागा लोगों के ऐतिहासिक और राजनीतिक अधिकारों" और "भारत-नागा राजनीतिक वार्ता" कैसे मुकाम पर पहुंचे, इस पर विचार-विमर्श किया गया.
बैठक नागालैंड में दीमापुर के पास हेब्रोन में केंद्रीय मुख्यालय में आयोजित की गई थी. एनएससीएन-आईएम का कड़ा रुख ऐसे समय में सामने आया है, जब शांति वार्ता पर गतिरोध की मार पड़ी है क्योंकि समूह और वार्ताकार (नागालैंड के गवर्नर आरएन रवि) के बीच गहरे मतभेद हैं.
एनएससीएन-आईएम ने एक प्रेस रिलीज जारी कहा है, "एनएससीएन-आईएम के रुख को दोहराने के लिए सदन ने सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव अपनाया है कि 'नागा राष्ट्रीय ध्वज और येहज़बाओ (संविधान) को नागा सौदे को सम्मानजनक और स्वीकार्य बनाने के लिए भारत-नागा राजनीतिक समाधान का हिस्सा बनना चाहिए."
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रिलीज में यह भी कहा गया है कि केंद्र और एनएससीएन-आईएम को 3 अगस्त, 2015 को हस्ताक्षरित ऐतिहासिक फ्रेमवर्क समझौते के आधार पर ही "अंतिम समझौते" की तलाश करनी चाहिए.
यह प्रकरण ऐसे समय में आया है जब नागालैंड गवर्नर और मुख्य वार्ताकार के बिना गृह मंत्रालय और खुफिया ब्यूरो के अधिकारियों के साथ बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए महासचिव थुइलिंगेंग मुइवा सहित एनएससीएन-आईएम के शीर्ष नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल नई दिल्ली में डेरा डाले हुए है.
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