
कर्नाटक में जब दशहरे के उत्सव का समापन हुआ, उसके बाद मैसूरू के 'महाराजा' यदुवीर वाडियार ने इंस्टाग्राम पर एक ऐसे पोस्ट को शेयर किया जिसमें उत्सव के दौरान फैलाई गई गंदगी का नजारा दिखता है.
11 अक्टूबर की इस पोस्ट में मैसूरू पैलेस में उत्सव के बाद की फैली गंदगी की तस्वीर दिखती है. इस पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, ''उम्मीद है कि हमारी सबसे पवित्र बिल्डिंग की यह दुर्दशा सालाना तस्वीर के रूप में देखने को नहीं मिलेगी.''
एक फोटो में पैलेस के दरबार हॉल में इधर-उधर बिखरी बोतलों और प्लेटों, एल्युमिनियम कंटेनर और पेपर बैग फैले हुए दिख रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि मैसूरू को पिछले दो सालों से देश के सबसे साफ-सुथरे शहर का खिताब मिल रहा है. इस संदर्भ में उन्होंने लिखा, ''जब इस शहर के सबसे प्रतिष्ठित लोग इस तरह का बर्ताव करेंगे तो इससे स्पष्ट है कि हम स्वच्छ शहर की छवि को लेकर गंभीर नहीं हैं. ''
दरअसल उस उत्सव में सुसज्जित हाथी पैलेस से बन्नीमानटापा तक पांच किमी की यात्रा करते हैं उसी को देखने के लिए भारी भीड़ एकत्र होती है, उसके बाद की बिखरी हुई गंदगी चारों तरफ दिखाई दे रही थी.
इसके साथ ही उन्होंने लिखा, ''लोग कब इस बात को समझेंगे कि पैलेस दरबार हॉल कोई थिएटर नहीं है. कभी भी किसी की दरबार हॉल में खाने की अनुमति नहीं दी गई लेकिन जिस तरह से यहां गंदगी फैली हुई है जैसे कि थिएटर में होती है (हालांकि हमको थिएटर में भी ऐसा नहीं करना चाहिए)...हमको यह समझना चाहिए कि हमें अपने पवित्र उत्सवों, अपने महान शहर और उसके महत्वपूर्ण स्थलों की शुचिता का संरक्षण करना चाहिए.''
11 अक्टूबर की इस पोस्ट में मैसूरू पैलेस में उत्सव के बाद की फैली गंदगी की तस्वीर दिखती है. इस पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, ''उम्मीद है कि हमारी सबसे पवित्र बिल्डिंग की यह दुर्दशा सालाना तस्वीर के रूप में देखने को नहीं मिलेगी.''
एक फोटो में पैलेस के दरबार हॉल में इधर-उधर बिखरी बोतलों और प्लेटों, एल्युमिनियम कंटेनर और पेपर बैग फैले हुए दिख रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि मैसूरू को पिछले दो सालों से देश के सबसे साफ-सुथरे शहर का खिताब मिल रहा है. इस संदर्भ में उन्होंने लिखा, ''जब इस शहर के सबसे प्रतिष्ठित लोग इस तरह का बर्ताव करेंगे तो इससे स्पष्ट है कि हम स्वच्छ शहर की छवि को लेकर गंभीर नहीं हैं. ''
दरअसल उस उत्सव में सुसज्जित हाथी पैलेस से बन्नीमानटापा तक पांच किमी की यात्रा करते हैं उसी को देखने के लिए भारी भीड़ एकत्र होती है, उसके बाद की बिखरी हुई गंदगी चारों तरफ दिखाई दे रही थी.
इसके साथ ही उन्होंने लिखा, ''लोग कब इस बात को समझेंगे कि पैलेस दरबार हॉल कोई थिएटर नहीं है. कभी भी किसी की दरबार हॉल में खाने की अनुमति नहीं दी गई लेकिन जिस तरह से यहां गंदगी फैली हुई है जैसे कि थिएटर में होती है (हालांकि हमको थिएटर में भी ऐसा नहीं करना चाहिए)...हमको यह समझना चाहिए कि हमें अपने पवित्र उत्सवों, अपने महान शहर और उसके महत्वपूर्ण स्थलों की शुचिता का संरक्षण करना चाहिए.''
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