सुप्रीम कोर्ट ने एक साथ तीन तलाक के चलन को अंसवैधानिक करार दिया.(प्रतीकात्मक तस्वीर)
लखनऊ:
ऑल इंडिया मुस्लिम वुमेन पर्सनल लॉ बोर्ड और ऑल इण्डिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने तीन तलाक को लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये फैसले को इस्लाम और देश की मुस्लिम महिलाओं की जीत करार देते हुए कहा कि इससे तलाक के नाम पर मुसलमान औरतों के साथ होने वाली नाइंसाफी पर रोक लगने की उम्मीद है. ऑल इंडिया मुस्लिम वुमेन पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अम्बर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला मुस्लिम समाज के लिये ऐतिहासिक है. यह देश की मुस्लिम महिलाओं की जीत है, लेकिन उससे भी ज्यादा अहम यह है, कि यह इस्लाम की जीत है. उम्मीद है कि आने वाले वक्त में तीन तलाक को हमेशा के लिये खत्म कर दिया जाएगा.
उन्होंने कहा कि अब तक तीन तलाक की वजह से मुस्लिम औरतों पर जुल्म होते रहे हैं, जबकि इस्लाम में कहीं भी तीन तलाक की व्यवस्था नहीं है. यह सिर्फ कुछ तथाकथित धर्मगुरुओं की बनाई हुई अन्यायपूर्ण व्यवस्था थी, जिसने लाखों औरतों की जिंदगी बरबाद की है. इस फैसले से मुस्लिम औरतों को एक नई उम्मीद मिली है.
शाइस्ता ने कहा, ''उच्चतम न्यायालय ने शरीयत से छेड़छाड़ किये बगैर छह महीने के अंदर संसद में कानून बनाये जाने की बात कही है. मुझे विश्वास है कि यह कानून बिना किसी दबाव के बनेगा और मुस्लिम महिलाओं को खुशहाली का रास्ता देगा.'' तीन तलाक के मुकदमे में प्रमुख पक्षकार रहे ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर किसी तरह की टिप्पणी से इनकार करते हुए कहा कि बोर्ड मिल बैठकर आगे का कदम तय करेगा.
ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि अब देश में तीन तलाक के नाम पर मुस्लिम महिलाओं के साथ होने वाले अन्याय को रोका जा सकेगा.
उन्होंने कहा, ''हजरत मुहम्मद साहब के जमाने में भी तीन तलाक की व्यवस्था नहीं थी. हम चाहते हैं कि जिस प्रकार कानून बनाकर सती प्रथा को खत्म किया गया, वैसे ही तीन तलाक के खिलाफ भी सख्त कानून बने. मैं संसद से गुजारिश करता हूं कि वह इंसानियत से जुड़े इस मसले पर नैसर्गिक न्याय के तकाजे के अनुरूप कानून बनाए.''
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
उन्होंने कहा कि अब तक तीन तलाक की वजह से मुस्लिम औरतों पर जुल्म होते रहे हैं, जबकि इस्लाम में कहीं भी तीन तलाक की व्यवस्था नहीं है. यह सिर्फ कुछ तथाकथित धर्मगुरुओं की बनाई हुई अन्यायपूर्ण व्यवस्था थी, जिसने लाखों औरतों की जिंदगी बरबाद की है. इस फैसले से मुस्लिम औरतों को एक नई उम्मीद मिली है.
शाइस्ता ने कहा, ''उच्चतम न्यायालय ने शरीयत से छेड़छाड़ किये बगैर छह महीने के अंदर संसद में कानून बनाये जाने की बात कही है. मुझे विश्वास है कि यह कानून बिना किसी दबाव के बनेगा और मुस्लिम महिलाओं को खुशहाली का रास्ता देगा.'' तीन तलाक के मुकदमे में प्रमुख पक्षकार रहे ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर किसी तरह की टिप्पणी से इनकार करते हुए कहा कि बोर्ड मिल बैठकर आगे का कदम तय करेगा.
ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि अब देश में तीन तलाक के नाम पर मुस्लिम महिलाओं के साथ होने वाले अन्याय को रोका जा सकेगा.
उन्होंने कहा, ''हजरत मुहम्मद साहब के जमाने में भी तीन तलाक की व्यवस्था नहीं थी. हम चाहते हैं कि जिस प्रकार कानून बनाकर सती प्रथा को खत्म किया गया, वैसे ही तीन तलाक के खिलाफ भी सख्त कानून बने. मैं संसद से गुजारिश करता हूं कि वह इंसानियत से जुड़े इस मसले पर नैसर्गिक न्याय के तकाजे के अनुरूप कानून बनाए.''
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