मुंबई गैंगरेप की शिकार 23 वर्षीय फोटो पत्रकार ने गुरुवार को अदालत में अपनी चार घंटे की गवाही के दौरान मामले के आरोपियों को पहचाना और उसके बाद बेहोश हो गई, जिसके बाद उसे शहर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया।
विशेष सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने बताया, ‘बलात्कार की शिकार लड़की गवाही के दौरान बेहोश हो गई, जिसके बाद हमने कार्यवाही रोक दी और मैंने अदालत से आग्रह किया कि उसे चिकित्सा सहायता के लिए भेजा जाए।’
शक्ति मिल परिसर में 22 अगस्त को कथित रूप से सामूहिक बलात्कार की शिकार हुई लड़की के साथ उसकी मां भी सत्र अदालत में आई थीं। लड़की की गवाही बंद कमरे में हुई।
निकम ने कहा कि युवा पत्रकार अदालत में भी अपने उसी बयान पर अडिग रही, जो उसने पुलिस को दिया था। इस दौरान लड़की ने पूरा वाकया सुनाया और आज मुकदमे के तीसरे दिन अदालत में खुद पर गुजरे जुल्म की दास्तां बयान की। लड़की ने वह अश्लील क्लिप भी पहचानी, जो उसे यौन उत्पीड़न के दौरान आरोपियों ने दिखाई थी।
निकम ने कहा कि गवाही देते हुए बलात्कार पीड़िता विश्वास से भरी थी और पूरे हौंसले के साथ अपनी बात अदालत के सामने रख रही थी। उन्होंने कहा कि गवाही देते हुए लड़की कभी ‘तनाव’ में आ जाती थी और कई बार उसने थोड़ी-थोड़ी देर के लिए ब्रेक भी मांगा।
उन्होंने कहा, हालांकि मामले के चारों आरोपी अदालती कार्यवाही के दौरान बेफिक्र, बेरहम और कठोर बने रहे।
लड़की के अचेत होने पर प्रिंसिपल जज शालिनी फनसालकर जोशी ने मामले की सुनवाई कल पर टाल दी।
एक अंग्रेजी पत्रिका में इन्टर्न के तौर पर काम कर रही फोटो पत्रकार के साथ पांच व्यक्तियों ने सामूहिक बलात्कार किया था। इनमें एक किशोर था, जिसपर अलग से मुकदमा चलाया जा रहा है। लड़की अपने एक पुरुष सहयोगी के साथ मिल के वीरान पड़े परिसर में एक असाइनमेंट के सिलसिले में गई थी, जहां आरोपियों ने उसे घेर लिया और उसके सहयोगी को बेल्ट से बांधने के बाद उससे बलात्कार किया।
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