शहर के बीचोंबीच एक व्यस्त पेट्रोल पंप, जहां हर तीन से पांच मिनट में एक गाड़ी में ईंधन डलता है, अपनी बिजली की खपत घटाने की कोशिश कर रहा है। मासिक 7500 यूनिट बिजली की खपत वाले रवि पेट्रोल पंप ने सौर ऊर्जा का रुख करते हुए अपने सवा लाख रुपये तक के बिजली बिल में कमी की शुरुआत की है।
पेट्रोल पंप की छत पर सोलर पैनल का ढांचा लगा है। 24केवीए क्षमता का यह सौर ऊर्जा संयंत्र इतनी बिजली बनाता है जिससे ग्रामीण इलाक़ों में बुनियादी उपकरणों वाले 60 घर, या ज़्यादा बिजली खपत करते पांच शहरी घर रोशन हो सकते हैं। एक हज़ार स्क्वेअर फ़ीट वर्गमीटर की किसी भी छत से इतनी ऊर्जा बन सकती है।
पैनल के नीचे एक कमरे में रेफ्रिजरेटर के आकार की डिब्बानुमा मशीन है। इसमें सौर ऊर्जा से बने डायरेक्ट करंट को रोज़ाना इस्तेमाल के अल्टरनेटिंग करंट में परिवर्तित किया जाता है। साथ ही अतिरिक्त ऊर्जा को बैटरियों में संजोया जाता है, और अगर सौर ऊर्जा अपर्याप्त हो, तो पारंपारिक बिजली स्रोत को भी यहां जोड़ा गया है, जिससे बिजली की कुल आवश्यकता पूरी हो सके।
इस संयंत्र को लगाने वाले जानकार वरुण गोयन्का ने कहा, "यह इकाई बरसात के सिवा हर मौसम में पर्याप्त बिजली तैयार करती है। इतने बड़े सेट-अप के लिए 20-22 लाख रुपये ख़र्च आता है, जो इस पंप की मौजूदा खपत के हिसाब से दो से ढाई साल में वसूल होगा। इसी तकनीक से घरों के समूह, सोसाइटियां अपनी बिजली ख़ुद बना सकती है।"
पेट्रोल पंप मालिक रवि पाटिल ने एनडीटीवी को पेट्रोल पंप के बारे में जानकारी देते हुए कहा, "यहां ईंधन पंप करने के अलावा कई कामों में बिजली की भारी खपत होती है। इस पंप में एक सर्विस सेंटर, एक ट्रेनिंग स्कूल, एक गाड़ी-धुलाई प्रणाली, एअरकंडिशनिंग और दफ्तर की बिजली शामिल है, ऐसा करते हुए हम पारंपारिक ऊर्जा के बिल में 60प्रतिशत तक बचत कर सकेंगे।"
लगातार उभरते कोयला संकट, बिजली के बढ़ते दामों में सौर ऊर्जा पर एकमुश्त बड़ी लागत किसी निवेश जैसी है, जो आगे उभर सकते बिजली संकटों से कुछ हद तक निजात दिला सकती है।
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