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This Article is From May 03, 2016

सीजेआई की मांग को मिला सांसदों का समर्थन, उठाई जजों की संख्या बढ़ाने की बात

सीजेआई की मांग को मिला सांसदों का समर्थन, उठाई जजों की संख्या बढ़ाने की बात
प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली: मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने भावुक होने का मसला मंगलवार को राज्यसभा में ज़ोरशोर से उठा। कांग्रेस, जेडी(यू) और सीपीएम समेत तमाम पार्टियों के नेताओं ने अदालतों में लम्बित मामलों का मुद्दा उठाते हुए जजों के रिक्त पद भरने की मांग की।

चंद दिनों पहले देश के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर अदालतों में लम्बित मामलों की बढ़ती संख्या पर प्रधानमंत्री मोदी के सामने भावुक हो गए थे। विज्ञान भवन में पेश आए इस नज़ारे की गूंज आज संसद तक पहुंच गई। सांसदों ने एक स्वर में कहा कि बढ़ते मामलों के मद्देनज़र सरकार को क़दम उठाना चाहिए।

कांग्रेस सांसद पूनिया का बयान
कांग्रेस सांसद पीएल पूनिया ने कहा कि सरकार इस पर तुरंत ध्यान दे ताकि फिर किसी न्यायाधीश को प्रधानमंत्री के सामने नहीं रोना पड़े। वहीं, जदयू के शरद यादव ने कहा कि आदमी इतना मजबूर है कि ब्रेकडाउन हो जाए। गंभीर मामला है, सरकार इस पर बयान क्यों नहीं देती।

क्या है स्थिति
दरअसल देश की निचली अदालतों और चौबीस उच्च न्यायालयों में इस वक़्त तीन करोड़ सात लाख मामले लम्बित हैं। इस गति से साल 2040 तक यह बढ़कर पंद्रह करोड़ हो जाएंगे। देश में दस लाख लोगों पर केवल पंद्रह जज ही हैं। जबकि तीस साल पहले ही न्यायिक आयोग ने पचास जजों की ज़रूरत होने की अनुशंसा की थी। इन हालातों में जेलों में लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है, और कई निर्दोष लोग भी न्याय की आस में ताज़िंदगी इंतज़ार करते रहते हैं। सांसदों ने मांग की कि जजों की नियुक्ति के लिए मौजूदा कॉलेजियम सिस्टम को ख़त्म कर नियुक्ति का कोई पारदर्शी तरीक़ा अपनाया जाए।

लेफ्ट नेता येचुरी का बयान
सीपीएम के सीताराम येचुरी ने कहा कि पहले भी पूरे हाउस में बात आई थी, हमने कहा था कि राष्ट्रीय न्यायिक आयोग बनाया जाए। इस पर संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख़्तार अब्बास नक़्वी ने जवाब दिया कि सदस्यों ने जो चिंता व्यक्त की है वो जायज़ है। मैं संबंधित मंत्री से बात करके आपको बताऊंगा। मुख्य न्यायाधीश ने तो यहां तक कहा था कि जब तक न्यायपालिका का यह बोझ कम नहीं होता, तब तक मेक-इन-इण्डिया योजना कारगर नहीं हो सकती।

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