वेंकैया नायडू की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
पांच सितारा होटल अशोक में पिछले 11 महीनों से रुके सांसदों को अब होटल ख़ाली करने के लिए कह दिया गया है। शहरी विकास मंत्रालय की ओर से इन सांसदों से कहा गया है कि वो अगले महीने की आठ और 13 तारीख़ तक ये होटल छोड़ दें।
लोकसभा और राज्यसभा के ऐसे 32 सांसद हैं जो इन होटलों में रह रहे हैं क्योंकि उन्हें सरकारी आवास मिलने में देरी हुई है। लोकसभा का सत्र आठ मई और राज्यसभा का सत्र 13 मई को खत्म हो रहा है।
अशोक होटल में इन सांसदों के लिए हर रोज़ सात हज़ार रुपए किराया दिया जा रहा है। एक अनुमान के मुताबिक़ इस तरह हर महीने लाखों रुपए ख़र्च हो रहे हैं। इन सांसदों में आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और तेलंगाना के सांसद शामिल हैं।
अब इनसे कहा गया है कि वो संसद का सत्र खत्म होते ही होटल छोड़ दें और राज्यों के अथिति गृहों में चले जाएं। इन्हें ये निर्देश भी दिया गया है कि उनके लिए सरकारी आवास का प्रबंध होने तक वो सत्र या संसदीय समितियों की बैठक के दौरान ही होटल में रुक सकते हैं।
बताया गया है कि कई सांसदों को सरकारी आवास दे दिया गया है पर अलग-अलग वजहों से वो अभी तक उनमें नहीं गए हैं। कुछ मकानों में पूर्व सांसद अभी तक रह रहे हैं जबकि कुछ सांसदों को अपने आवास को लेकर कुछ दिक़्क़तें हैं। 13 सांसदों को आवास आवंटित हो चुके हैं जबकि 19 के लिए अभी तक उपयुक्त आवास नहीं मिल सका है।
माना जा रहा है कि ताज़ा निर्देश भी सांसदों पर दबाव डालने की रणनीति का हिस्सा है क्योंकि उनके लिए आवास का इंतज़ाम करना मंत्रालय की ही ज़िम्मेदारी है और इसमें हुई क़रीब एक साल की देरी कई सवाल खड़े कर रही है।
लोकसभा और राज्यसभा के ऐसे 32 सांसद हैं जो इन होटलों में रह रहे हैं क्योंकि उन्हें सरकारी आवास मिलने में देरी हुई है। लोकसभा का सत्र आठ मई और राज्यसभा का सत्र 13 मई को खत्म हो रहा है।
अशोक होटल में इन सांसदों के लिए हर रोज़ सात हज़ार रुपए किराया दिया जा रहा है। एक अनुमान के मुताबिक़ इस तरह हर महीने लाखों रुपए ख़र्च हो रहे हैं। इन सांसदों में आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और तेलंगाना के सांसद शामिल हैं।
अब इनसे कहा गया है कि वो संसद का सत्र खत्म होते ही होटल छोड़ दें और राज्यों के अथिति गृहों में चले जाएं। इन्हें ये निर्देश भी दिया गया है कि उनके लिए सरकारी आवास का प्रबंध होने तक वो सत्र या संसदीय समितियों की बैठक के दौरान ही होटल में रुक सकते हैं।
बताया गया है कि कई सांसदों को सरकारी आवास दे दिया गया है पर अलग-अलग वजहों से वो अभी तक उनमें नहीं गए हैं। कुछ मकानों में पूर्व सांसद अभी तक रह रहे हैं जबकि कुछ सांसदों को अपने आवास को लेकर कुछ दिक़्क़तें हैं। 13 सांसदों को आवास आवंटित हो चुके हैं जबकि 19 के लिए अभी तक उपयुक्त आवास नहीं मिल सका है।
माना जा रहा है कि ताज़ा निर्देश भी सांसदों पर दबाव डालने की रणनीति का हिस्सा है क्योंकि उनके लिए आवास का इंतज़ाम करना मंत्रालय की ही ज़िम्मेदारी है और इसमें हुई क़रीब एक साल की देरी कई सवाल खड़े कर रही है।
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