प्रतीकात्मक तस्वीर...
नई दिल्ली:
डेंगू की वैक्सीन पर कई सालों से काम चल रहा है, लेकिन अब तक की सबसे कारगर वैक्सीन नई दिल्ली की एक लैब में खोजी गई है। ये अभी शुरुआती दौर में है। बंदरों पर इसका परीक्षण सफल रहा है, लेकिन अभी इंसानों पर अभी इसका परीक्षण नहीं हुआ है।
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भारतीय डेंगू के टीके की यह खोज पांच साल पहले कुल 8 करोड़ रुपये के निवेश के साथ शुरू हुई थी और पिछले महीने टीम अंतरराष्ट्रीय पेटेंट हासिल कर सकी है। हालांकि इस वैक्सीन के बाज़ार में आने में 5 साल तक का समय लग सकता है।
दरअसल, डेंगू सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे देश में किसी महामारी की तरह पांव पसार रहा है। संक्रमण से होने वाली बीमारियों पर लगाम के लिए आमतौर पर टीका बेहतर रास्ता होता है, लेकिन डेंगू के वायरस अपना रूप बदलते रहते हैं, लिहाजा इसके खिलाफ असरदार टीके का विकास नहीं हो सका है। लेकिन अभी तक की यह सबसे कारगर वैक्सीन नई दिल्ली की एक लैब में खोज ली गई है, जोकि यह अभी शुरुआती दौर में है।
डेंगू के एक जटिल रोग होने की वजह से इसका टीका विकसित करना भी आसान नहीं है, क्योंकि इसके वायरस चार तरह के होते हैं। संयोग से देश में कोई और नया वायरस नहीं मिला है। कुछ हफ्ते पहले भारतीय वैज्ञानिक उस खोज में कामयाब रहे हैं, जिससे इस खतरनाक वायरस के टीके का रास्ता साफ हो गया है। बंदरो पर इसका परीक्षण सफल रहा है, हालांकि इसानों पर परखे जाने के पहले अभी काफी कुछ किया जाना है।
इस टीके पर अभी तक सारी चीजें बेहद गोपनीय तरीके से ही हो रही थी। अब बंदरों को लेकर इसका बड़े पैमाने में परीक्षण अमेरिका में करने की योजना है। इसके बाद इसका इंसानों पर ट्रायल किया जाएगा और इसमें करीब सौ करोड़ रुपए से भी ज्यादा का खर्च आ सकता है, जाहिर है आगे का रास्ता भी बहुत आसान नहीं लग रहा।
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भारतीय डेंगू के टीके की यह खोज पांच साल पहले कुल 8 करोड़ रुपये के निवेश के साथ शुरू हुई थी और पिछले महीने टीम अंतरराष्ट्रीय पेटेंट हासिल कर सकी है। हालांकि इस वैक्सीन के बाज़ार में आने में 5 साल तक का समय लग सकता है।
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डेंगू के एक जटिल रोग होने की वजह से इसका टीका विकसित करना भी आसान नहीं है, क्योंकि इसके वायरस चार तरह के होते हैं। संयोग से देश में कोई और नया वायरस नहीं मिला है। कुछ हफ्ते पहले भारतीय वैज्ञानिक उस खोज में कामयाब रहे हैं, जिससे इस खतरनाक वायरस के टीके का रास्ता साफ हो गया है। बंदरो पर इसका परीक्षण सफल रहा है, हालांकि इसानों पर परखे जाने के पहले अभी काफी कुछ किया जाना है।
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