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This Article is From Aug 06, 2013

दुर्गा को फंसाने के लिए भू-माफिया ने गिरवाई दीवार : वक्फ बोर्ड सदस्य

जिस लोकल इंटेलिजेंस यूनिट की रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार ने दुर्गा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है, उसी रिपोर्ट में साफ लिखा है कि दीवार गिरने के बाद दुर्गा हालात का जायजा लेने के लिए मौके पर पहुंची थीं।
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नई दिल्ली: आईएएस दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन के मामले में यह बात लगातार कही जा रही है कि एक मस्जिद की दीवार गिराने की वजह से उनका निलंबन हुआ, क्योंकि उन्होंने धार्मिक भावनाओं की परवाह नहीं की, लेकिन इलाके से लगे दनकौर इलाके के वक्फ बोर्ड का कुछ और ही कहना है। उसके मुताबिक, मस्जिद की दीवार भू-माफिया गिरवाई थी ताकि दुर्गा शक्ति को इस मामले में फंसाया जा सके।

वक्फ बोर्ड दनकौर के सदस्य कादिर खान जायसवाल कई साल से भू-माफिया से लड़ रहे हैं। उनका आरोप है कि इस माफिया ने वक्फ बोर्ड की करोड़ों की जमीन हड़प रखी है। उनकी शिकायत पर ही दुर्गाशक्ति कार्रवाई कर रही थी, जिसकी सजा उन्हें भुगतनी पड़ी।

जायसवाल ने बताया कि उन्होंने 17 मई 2012 को इस मामले में आठ लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया। तत्कालीन जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा कि कादिर के आरोप सही हैं। तब जांच अधिकारी का तबादला हो गया।
इसके बाद कादिर ने सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और आजम ख़ान जैसे नेताओं से शिकायत की। जब दुर्गाशक्ति आईं तो कादिर ने नए सिरे से शिकायत की। तहसीलदार से जांच कराने के बाद 24 जून 2013 को दुर्गाशक्ति ने भू-माफिया को नोटिस जारी किया, लेकिन नोटिस पर अमल से पहले दुर्गाशक्ति का निलंबन हो गया। मंगलवार को कादिर खान अपने साथियों के साथ कलेक्टरेट कार्यालय में दुर्गाशक्ति के निलंबन वापसी की मांग को लेकर धरना देंगे।

उल्लेखनीय है कि दुर्गा शक्ति नागपाल पर मस्जिद की दीवार गिराने का आरोप मनगढ़ंत है। जिस लोकल इंटेलिजेंस यूनिट की रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार ने दुर्गा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है, उसी रिपोर्ट में साफ लिखा है कि दीवार गिरने के बाद दुर्गा हालात का जायजा लेने के लिए मौके पर पहुंची थीं।

दीवार जेवर इलाके के एसडीएम बच्चू सिंह और सर्किल ऑफिसर और एसएचओ की मौजूदगी में गिराई गई। प्रशासन के मुताबिक, ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि मस्जिद की दीवार बनाने की इजाजत नहीं ली गई थी। दीवार गिराए जाने पर स्थिति का जायजा लेने के लिए एसडीएम दुर्गा शक्ति नागपाल को मौके पर भेजा गया था। इस रिपोर्ट को बहाना बनाकर ही राज्य सरकार ने नागपाल को धार्मिक सदभाव बिगाड़ने का आरोपी ठहराकर सस्पेंड किया, जबकि इस रिपोर्ट में दीवार गिराए जाने के वक्त मौजूदगी की बात है ही नहीं।

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