भारत में लॉन्ग टर्म वीज़ा पर रहे रहे ऐसे बहुत से पाकिस्तानी हैं, जो किसी काम से NORI वीज़ा पर पाकिस्तान गए लेकिन लॉकडाउन के चलते अब वो वहां फंस गए हैं. NORI वीज़ा का मतलब होता है ‘नो आब्जेक्शन टू रिटर्न टू इंडिया'. भारत की तरफ़ से ये वीज़ा ऐसे पाकिस्तानियों को जारी किया जाता जिन्होंने किसी भारतीय नागरिक से शादी की हो और भारत में लॉन्ग टर्म वीज़ा पर रह रहे हों. वे जब संबंधियों से मुलाक़ात या किसी और काम के लिए पाकिस्तान जाते हैं तो उन्हें NORI वीज़ा दिया जाता है. इनको भारत की नागरिकता जब तक न मिल जाए, पाकिस्तान जाने के लिए NORI वीज़ा लेना पड़ता है ताकि भारत वापस लौटने में दिक़्क़त न हो.
पाकिस्तान की अफ्शां सैफ़ ने भारतीय नागरिक आहिल सैफ़ से शादी की. वे आठ साल से भारत में रह रही थीं. फ़रीदाबाद FRRO से NORI वीज़ा मिलने के बाद वे अपने मायके कराची गईं. लॉकडाउन लग जाने के बाद विदेशी यात्रा प्रतिबंधों के कारण वे वहीं फंसकर रह गई हैं. जबकि, गृह मंत्रालय की तरफ़ से 12 जून को जारी मेमोरेंडम में जिन विदेशी नागरिकों को वापस आने की छूट दी गई है उनमें (page-2, प्वाइंट B2) वे भी शामिल हैं जिन्होंने भारतीय से शादी की है.
अफ्शां सैफ़ के साथ उनके दो छोटे बच्चे हैं जो जन्म के आधार पर भारत के नागरिक हैं और उनके पास भारतीय पासपोर्ट हैं. पर वे भी मां के साथ वहीं फंसे हैं. इन्होंने एक वीडियो जारी कर भारत सरकार से लौटने देने की गुहार लगाई है.
ऐसे करीब 500 लोग पाकिस्तान में फंसे, जिन्हें भारत लौटना है
ये एक मात्र मामला नहीं है. ऐसे क़रीब 500 लोग हैं जो इस तरह पाकिस्तान गए और वहां फंस गए हैं. कइयों की NORI वीज़ा की अवधि भी ख़त्म हो रही है जो अमूमन 45 दिनों की होती है. इसी दौरान लौटना होता है. कई महीनों से फंसे लोग इसे बढ़ाने की भी गुहार लगा रहे हैं ताकि लौटते समय दिक़्क़त न हो.
2016 में पाकिस्तान से आकर रायपुर में बस गए सुनील कुमार भी पाकिस्तान में फंस गए हैं. वे भारत में लॉन्ग टर्म वीज़ा पर आए. उन्हें अभी यहां की नागरिकता नहीं मिली है. वे NORI वीज़ा लेकर अपनी भांजी की शादी में शामिल होने पाकिस्तान गए थे. लॉकडाउन लग जाने के बाद वहीं फंस गए हैं. उनके छोटे बच्चे रायपुर में ही हैं. सुनील कुमार जल्द वापस लौटना चाहते हैं.
2016 में पाकिस्तान से आकर रायपुर में बस गए सुनील कुमार भी पाकिस्तान में फँस गए हैं। वे भारत में लॉन्ग टर्म वीज़ा पर आए। वे NORI वीज़ा पर भांजी की शादी में शामिल होने पाकिस्तान गए। लॉकडाउन के बाद वहीं फँस गए हैं। उनके छोटे बच्चे रायपुर में ही हैं। सुनील जल्द वापस लौटना चाहते हैं। pic.twitter.com/ZYqHuJw6KC
— Umashankar Singh उमाशंकर सिंह (@umashankarsingh) July 8, 2020
अहमदाबाद के अविनाश तरनेजा अपनी भारतीय मां के साथ इसी साल फ़रवरी में पाकिस्तान गए अपनी शादी के लिए. पत्नी का भी भारत का वीज़ा लग गया लेकिन मार्च में वीज़ा प्रतिबंध लगने के कारण वे भारत नहीं आ पा रहे. भारतीय नागरिक होने के कारण इनकी मां को भारतीय नागरिकों के दल में वापस लौटने का मौक़ा भी मिला लेकिन एक तो वो ब्लड प्रेशर की मरीज़ हैं और दूसरा ये कि भारत में उनका उनके बेटे के अलावा देखभाल के लिए कोई नहीं. अविनाश तरनेजा ने एक वीडियो संदेश के ज़रिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से गुहार लगाई है कि तीनों को एक साथ भारत आने दिया जाए.
श्याम कुमार नौ साल पहले पाकिस्तान से उन्हें आकर बस गए. इनकी बच्ची भारत में ही पैदा हुई. अपनी पत्नी और बच्ची के साथ जनवरी में ये पाकिस्तान गए शादी में शामिल होने. मार्च में लौटना था लेकिन लॉकडाउन की वजह से वहीं फंस गए हैं. इन्होंने इंदौर के सांसद शंकर लालवानी से गुहार लगाई है कि उनकी वापसी का रास्ता खोला जाए. सांसद शंकर लालवानी ने इस संबंध में 1 जुलाई को गृहमंत्री अमित शाह को एक पत्र लिखा है. इसमें अनुरोध किया गया है कि NORI वीज़ा वालों को वाघा अटारी बॉर्डर के ज़रिए जल्द भारत वापस आने दिया जाए. इनमें से कइयों की तबीयत ख़राब है, तो कुछ के छोटे बच्चे यहां हैं और पाकिस्तान में कोरोना महामारी से हालत ख़राब है.
पाकिस्तान में फंसे क़रीब 750 भारतीय नागरिकों को हाल ही में वाघा अटारी बॉर्डर के जरिए भारत वापस लाया गया है. NORI वीज़ा वालों की गुहार है कि भारत सरकार जल्द ही उन्हें भी वापिस आने दे. कइयों के पैसे ख़त्म हो गए हैं और कई एक रिश्तेदार से दूसरे रिश्तेदार के घर सिर छिपाने को मजबूर हो रहे हैं.
पाकिस्तान स्थित भारतीय उच्चायोग के क़रीबी सूत्रों का कहना है कि पहले सभी भारतीय नागरिकों को वापिस निकालना प्राथमिकता है. 748 भारतीय वापस लौट चुके हैं. 114 भारतीय 9 जुलाई को लौट रहे हैं. इनके अलावा 70-80 और भारतीय नागरिक पाकिस्तान में और हैं जिनकी वापसी की कोशिश की जा रही है. सूत्र बताते हैं कि इसके बाद NORI वीज़ा वालों की वापसी पर काम होगा. इसमें एक दिक़्क़त और है कि चूंकि ये अलग-अलग राज्यों में रहते हैं तो वहां की राज्य सरकारों के साथ समन्वय भी बिठाना पड़ता है ताकि वे लौटने वालों को अपने राज्य में ले जाकर क्वारंटीन करें.
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