सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पोर्नोग्राफिक वेबसाइट्स, खासतौर से चाइल्ड पोर्नोग्राफिक वेबसाइट्स को ब्लॉक करने के लिए प्रभावी कदम उठाने का निर्देश दिया है, जबकि केंद्र सरकार का कहना है कि इस पर काम जारी है, क्योंकि चार करोड़ से ज़्यादा इस तरह की वेबसाइट मौजूद हैं, और जितने समय में एक साइट को ब्लॉक किया जाता है, उतनी ही देर में नई वेबसाइट अस्तित्व में आ जाती है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दायर की गई एक याचिका की सुनवाई के दौरान शुक्रवार को केंद्र सरकार से कहा कि कानून, तकनीक और प्रशासन को समन्वित करके इंटरनेट पर पोर्नोग्राफिक सामग्री की रोकथाम के लिए काम करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सरकार को पोर्नोग्राफिक वेबसाइट्स, खासतौर से चाइल्ड पोर्नोग्राफिक वेबसाइट्स को ब्लॉक करने के लिए कदम उठाने होंगे। याचिकाकर्ता के अनुसार पिछले 18 महीने में सरकार ने एक भी ऐसी वेबसाइट को ब्लॉक नहीं किया।
केंद्र सरकार ने अपने जवाब में बताया कि इस तरह की वेबसाइटों को ब्लॉक करना कठिन होता है, जिनके सर्वर विदशों में स्थापित हैं। सरकार के अनुसार वह सर्वरों को भारत में लाने की दिशा में काम कर रही है, ताकि वेबसाइटों पर बेहतर नियंत्रण हो सके। सरकार ने यह भी बताया कि आईटी एक्ट के अंतर्गत सलाहकार समिति का गठन कर दिया गया है, जो समस्या से निपटने के लिए सुझाव देगी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि याचिका में कही गई बातों की जानकारी सलाहकार समिति को अवश्य दी जाए, ताकि वह कोई समाधान सुझा सके। मामले की सुनवाई छह सप्ताह बाद की जाएगी।
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