
प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
सरकार ने कहा है कि संसद के मॉनसून सत्र में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक को पारित कराने के लिए उसके पास ‘पर्याप्त’ समर्थन है। संसद का मानसून सत्र 18 जुलाई से शुरू होकर 12 अगस्त तक चलेगा।
गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई संसदीय मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की एक बैठक में इस सत्र के लिए कार्यक्रम तय किया गया। संसदीय मामलों के मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने संवाददाताओं को बताया कि मानसून सत्र जरूरत के मुताबिक दो-तीन दिन बढ़ाया या घटाया जा सकता है। इस सत्र में फिलहाल 20 कार्य दिवस होंगे।
नायडू ने कहा कि जीएसटी देश के व्यापक हित में है। उन्होंने कहा, 'हमारे पास व्यापक समर्थन है और जीएसटी के लिए हमारे पास पर्याप्त संख्या है, लेकिन हम सभी दलों की सहमति चाहेंगे क्योंकि इसका राज्यों पर प्रभाव होगा।' उन्होंने कहा कि सरकार आम सहमति से इस विधेयक को पारित करना चाहती है और इस दिशा में काम कर रही है, लेकिन इसके बावजूद आम सहमति नहीं बनी तो भी हमें इसे मॉनसून सत्र में ही पारित कराना है।
नायडू ने कहा कि इस विधेयक पर मत विभाजन आखिरी विकल्प होगा और सरकार इस मुद्दे पर संख्या बल के परीक्षण से परहेज करना चाहेगी और सभी दलों को साथ लेकर चलने का प्रयास करेगी। चूंकि यह एक संविधान संशोधन विधेयक है, इसलिए मतविभाजन तो होगा ही।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई संसदीय मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की एक बैठक में इस सत्र के लिए कार्यक्रम तय किया गया। संसदीय मामलों के मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने संवाददाताओं को बताया कि मानसून सत्र जरूरत के मुताबिक दो-तीन दिन बढ़ाया या घटाया जा सकता है। इस सत्र में फिलहाल 20 कार्य दिवस होंगे।
नायडू ने कहा कि जीएसटी देश के व्यापक हित में है। उन्होंने कहा, 'हमारे पास व्यापक समर्थन है और जीएसटी के लिए हमारे पास पर्याप्त संख्या है, लेकिन हम सभी दलों की सहमति चाहेंगे क्योंकि इसका राज्यों पर प्रभाव होगा।' उन्होंने कहा कि सरकार आम सहमति से इस विधेयक को पारित करना चाहती है और इस दिशा में काम कर रही है, लेकिन इसके बावजूद आम सहमति नहीं बनी तो भी हमें इसे मॉनसून सत्र में ही पारित कराना है।
नायडू ने कहा कि इस विधेयक पर मत विभाजन आखिरी विकल्प होगा और सरकार इस मुद्दे पर संख्या बल के परीक्षण से परहेज करना चाहेगी और सभी दलों को साथ लेकर चलने का प्रयास करेगी। चूंकि यह एक संविधान संशोधन विधेयक है, इसलिए मतविभाजन तो होगा ही।
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