यह महज़ संयोग ही होगा की सीता की जन्मस्थली सीतामढ़ी ज़िले के लोग पीएम नरेंद्र मोदी के ना आने के बावजूद खुश हैं और राजा जनक की नागरी जनकपुर के लोग उतने ही ज्यादा दुखी और गुस्से में दिख रहे हैं।
दरअसल जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जनकपुर जाने का संभावित कार्यक्रम आया था, बिहार सरकार पूरी मुस्तेदी से सितामढ़ी से भिटमोरे की 30 किलोमीटर लंबी सड़क को चमकने में लग गई। यह राष्ट्रीय राजमार्ग हैं।
स्थानीय लोगों का कहना हैं की इस रास्ते में जितने डायवर्ज़न थे, उन पर पहली बार अलकतरा लगा और अब यह पक्की सड़क बन गई है और अब इस पर फर्राटेदार स्पीड में आधे घंटे में नेपाल सीमा पहुंचे सकते है।
वहीं नेपाल के लोग भी पहले काफी खुश थे, क्योंकि भिट्ठामोड़ सीमा से जनकपुर की जो 19 किलोमीटर की दूरी डेढ़ घंटे में पूरी होती थी, वहां भी काम लगा या कहिये काम लगा हुआ है, लेकिन भारतीय प्रधानमंत्री के ना आने की खबर से उन लोगों को आशंका है कि सड़क में मौजूद गड्ढ़ों को मिट्टी डाल कर भरने का जो काम हो रहा था, वह शायद अब बंद हो जाए।
नेपाल सरकर के सड़क विभाग के एक इंजिनियर का रोना था की इस सड़क निर्माण का ठेका जिस भारतीय कंपनी को दिया गया था, वह काम नहीं कर रही। जबकि, नेपाल के लोगों का कहना है रंगदारी मांगे जाने के कारण काम नहीं हो पा रहा।
जनकपुर के लोगों के मुताबिक, उन्हें काफी उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री मोदी जानकी मंदिर में दर्शन के बहाने तराई क्षेत्र के लोगों की समस्या का निदान का जरूर कुछ उपाय लेकर आएंगे। पीएम मोदी की इस यात्रा से जुड़ी उनकी उम्मीदों का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन लोगों का मानना है की मोदी समस्या सुनते नहीं, बल्कि उनकी रिसर्च टीम उन्हें एक-एक चीज के बारे में पहले से अवगत करा देती है।
पीएम मोदी आते तो उसी बहाने मधेसी नेता अपनी राजनीति भी चमकाते, क्योंकि पिछले बार मोदी से काठमांडू में मुलाकात के बाद वह काफी मायूस हुए थे, लेकिन ये मौका भी उनके हाथ से अब चला गया।
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