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This Article is From Dec 20, 2018

देश में 2016 से कितने किसानों ने की आत्महत्या ? मोदी सरकार के पास नहीं हैं आंकड़े

कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने संसद को बताया है कि केंद्र सरकार के पास 2016 से किसानों की मौत के आंकड़े नहीं हैं.

फाइल फोटो.

नई दिल्ली:

केंद्र की मोदी सरकार के पास पिछले तीन वर्षों में किसानों की मौत का कोई आंकड़ा नहीं है. खुद कृषि मंत्री ने संसद में यह बयान दिया है. कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने संसद को मंगलवार को बताया कि ऐसे आंकड़े नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो(एनसीआरबी) रखता है. मगर, एनसीआरबी ने 2016 से ऐसे आंकड़े जारी ही नहीं किए हैं. दरअसल, तृणमूल कांग्रेस के सांसद दिनेश त्रिवेदी ने 2016 से अब तक आत्महत्या करने वाले किसानों के बारे में सरकार से सवाल पूछा था. जिसका जवाब देते हुए कृषि मंत्री ने यह जानकारी दी.  

कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने जवाब देते हुए बताया कि गृहमंत्रालय के अंतर्गत आने वाला एनसीआरबी ऐसे आंकड़ों को एकत्र करने के साथ उन्हें प्रचारित करता है. 2015 तक किसानों की आत्महत्या के आंकड़े एनसीआरबी की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं. अभी 2016 की रिपोर्ट वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं हुई है. 2015  के उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक कुल 8 हजार किसानों ने आत्महत्या की. महाराष्ट्र में सर्वाधिक 3030 किसानों ने जान दी. इसके अलावा तेलंगाना में 1358, कर्नाटक में 1197 वहीं 4500 कृषि मजदूरों ने सुसाइड किया. ज्यादातर आत्महत्या की घटनाएं कर्ज या फिर दिवाला निकल जाने के कारण हुईं. 2016 से अब तक कई किसान आंदोलन हो चुके हैं.

वैसे कृषि मंत्री भूल गए कि उनके ही राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने 20 मार्च 2018 को लोकसभा को बताया था कि एनसीरबी के प्रॉवीज़नल डेटा के मुताबिक 2016 में 11,000 से ज़्यादा किसानों और खेतिहर मजदूरों ने खुदकुशी की.

पिछले साल मध्य प्रदेश के मंदसौर में किसानों के आंदोलन के दौरान पुलिस की गोलीबारी से पांच किसानों की मौत हो गई थी. हालांकि 2016 से अब तक किसानों की आत्महत्या के आंकड़ें एनसीआरबी ने नहीं एकत्र किए. अभी हाल में कृषि मुद्दों पर मुखर होकर आवाज उठाने वाले पत्रकार पी साईंनाथ भी दिल्ली में किसानों के मार्च में शामिल हुए थे. बता दें कि 2014 में एनसीआरबी ने 5650 किसानों की आत्महत्या के आंकड़े प्रदर्शित किए थे. 

"गृह मंत्रालय के मातहत आने वाला नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो खुदकुशी से जुड़ी सूचनाएं जुटाता है और अपने प्रकाशन भारत में ख़ुदकुशी और हादसों से होने वाली मौतों में देता है. खुदकुशी की ये रिपोर्ट 2015 तक की है, 2016 के बाद से रिपोर्ट छपी नहीं है."

वीडियो- Ground Report: राजस्थान के नटाटा गांव के किसानों दर्द 

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