सत्यपाल सिंह
नई दिल्ली:
1990 के दशक में मुंबई में संगठित अपराध की कमर तोड़ने वाले सत्यपाल सिंह ने मुंबई, पुणे और नागपुर के पुलिस आयुक्त का पदभार संभालने के बाद खाकी से खादी का रूख किया और उत्तर प्रदेश में बागपत से लोकसभा के लिए चुने गए. अब ये मोदी कैबिनेट का हिस्सा हैं. मुंबई में दोबारा से पनपते अंडरवर्ल्ड के खात्मे में इनका अहम योगदान माना जाता है. इनके पुलिस कमिश्नर रहते हुए मुंबई में क्राइम का ग्राफ काफी घट गया था. साथ ही इन्होंने मुंबई पुलिस और वहां की जनता के बीच मेल-जोल बढ़ाने के लिए भी काफी काम किए थे. ये अपने भाषणों में कई मौकों पर कह चुके हैं कि अपराधियों के लिए वे सबसे बड़े गुंडे हैं.
महाराष्ट्र में विभिन्न जगहों पर तैनात रहते हुए अपनी जिम्मेदारियों को बड़े ही शानदार ढंग से पूरा किया. मुंबई के अपराध प्रमुख के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने संगठित अपराध सिंडिकेट की रीढ़ को तोड़ने का काम किया. 1990 के दशक में मुंबई में छोटा राजन, छोटा शकील और अरुण गवली गिरोहों का आतंक था. पुलिस सेवा के दौरान उन्होंने कई उल्लेखनीय कार्य किए. 2012 में वे मुंबई पुलिस कमिश्नर बने.
ये भी पढ़ें: बीजेपी सांसद और मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर सत्यपाल सिंह के लिए दादरी की घटना है 'मामूली'
1980 के बैच भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी सत्यपाल सिंह देश के पुलिस विभाग के सबसे सफल और कर्मठ पुलिस अधिकारियों में गिने जाते हैं और उन्हें 2008 में आंतरिक सुरक्षा सेवा पदक से सम्मानित किया गया. आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश के नक्सल प्रभावित इलाकों में उनके अदम्य साहस के बूते पर अंजाम दिए गए असाधारण कार्यों के लिए उन्हें विशेष सेवा पदक से सम्मानित किया गया.
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29 नवंबर 1955 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में बसौली में जन्मे सिंह ने रसायनशास्त्र में एमएससी और एमफिल किया, आस्ट्रेलिया से सामरिक प्रबंधन में एमबीए, लोक प्रशासन में एमए और नक्सलवाद में पीएचडी किया. बहुमुखी प्रतिभा के धनी सिंह ने लेखन में भी अपने हाथ आजमाए और कई किताबें लिखीं. ज्ञान हासिल करने और उसे बांटने का सिलसिला यहीं नहीं थमा. वह वैदिक अध्ययन और संस्कृत के प्रकांड विद्वान हैं और आध्यात्मिकता, धार्मिक सौहार्द एवं भ्रष्टाचार के मुद्दे पर नियमित रूप से व्याख्यान दिया करते हैं.
अपनी बात को बेहतरीन तरीके से लोगों के सामने रखने में माहिर सत्यपाल सिंह गृह मामलों पर संसदीय सथायी समिति के सदस्य हैं और लाभ के पद से संबंधित संयुक्त समिति के अध्यक्ष हैं.
VIDEO:‘देश में अमीरों को सज़ा देना मुश्किल'
यह देखना दिलचस्प होगा कि मुंबई, पुणे और नागपुर के पुलिस आयुक्त का पदभार संभालने वाले, मुंबई के संगठित अपराध का सफाया वाले और भ्रष्टाचार पर व्याख्यान देने वाले कड़क कॉप सत्यपाल सिंह का खाकी छोड़कर खादी अपनाने के बाद अब सत्ता के गलियारों का सफर कैसा रहेगा.
महाराष्ट्र में विभिन्न जगहों पर तैनात रहते हुए अपनी जिम्मेदारियों को बड़े ही शानदार ढंग से पूरा किया. मुंबई के अपराध प्रमुख के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने संगठित अपराध सिंडिकेट की रीढ़ को तोड़ने का काम किया. 1990 के दशक में मुंबई में छोटा राजन, छोटा शकील और अरुण गवली गिरोहों का आतंक था. पुलिस सेवा के दौरान उन्होंने कई उल्लेखनीय कार्य किए. 2012 में वे मुंबई पुलिस कमिश्नर बने.
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1980 के बैच भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी सत्यपाल सिंह देश के पुलिस विभाग के सबसे सफल और कर्मठ पुलिस अधिकारियों में गिने जाते हैं और उन्हें 2008 में आंतरिक सुरक्षा सेवा पदक से सम्मानित किया गया. आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश के नक्सल प्रभावित इलाकों में उनके अदम्य साहस के बूते पर अंजाम दिए गए असाधारण कार्यों के लिए उन्हें विशेष सेवा पदक से सम्मानित किया गया.
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29 नवंबर 1955 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में बसौली में जन्मे सिंह ने रसायनशास्त्र में एमएससी और एमफिल किया, आस्ट्रेलिया से सामरिक प्रबंधन में एमबीए, लोक प्रशासन में एमए और नक्सलवाद में पीएचडी किया. बहुमुखी प्रतिभा के धनी सिंह ने लेखन में भी अपने हाथ आजमाए और कई किताबें लिखीं. ज्ञान हासिल करने और उसे बांटने का सिलसिला यहीं नहीं थमा. वह वैदिक अध्ययन और संस्कृत के प्रकांड विद्वान हैं और आध्यात्मिकता, धार्मिक सौहार्द एवं भ्रष्टाचार के मुद्दे पर नियमित रूप से व्याख्यान दिया करते हैं.
अपनी बात को बेहतरीन तरीके से लोगों के सामने रखने में माहिर सत्यपाल सिंह गृह मामलों पर संसदीय सथायी समिति के सदस्य हैं और लाभ के पद से संबंधित संयुक्त समिति के अध्यक्ष हैं.
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यह देखना दिलचस्प होगा कि मुंबई, पुणे और नागपुर के पुलिस आयुक्त का पदभार संभालने वाले, मुंबई के संगठित अपराध का सफाया वाले और भ्रष्टाचार पर व्याख्यान देने वाले कड़क कॉप सत्यपाल सिंह का खाकी छोड़कर खादी अपनाने के बाद अब सत्ता के गलियारों का सफर कैसा रहेगा.
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