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This Article is From Sep 03, 2017

जेपी आंदोलन की देन हैं अश्विनी कुमार चौबे, केदारनाथ बाढ़ को याद कर सिहर जाते हैं यह मंत्री

अश्विनी चौबे 1970 के दशक में जेपी आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल थे. उन्हें आपातकाल के दौरान मीसा के तहत हिरासत में लिया गया था.

जेपी आंदोलन की देन हैं अश्विनी कुमार चौबे, केदारनाथ बाढ़ को याद कर सिहर जाते हैं यह मंत्री
अश्विनी कुमार चौबे
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
अश्विनी चौबे का पटना विश्वविद्यालय से शुरू हुआ राजनीतिक सफर
बिहार की ऊंची जातियों के वोटबैंक के बीच है अच्छी पकड़
बिहार के स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए काम की हुई थी तारीफ
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मंत्रिमंडल में बड़ा फेरबदल कर चुके हैं. पीएम मोदी के कैबिनेट में बिहार बीजेपी के कद्दावर नेता और बक्सर से सांसद अश्विनी कुमार चौबे को शामिल किया गया है. अश्विनी चौबे 1970 के दशक में जेपी आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल थे. उन्हें आपातकाल के दौरान मीसा के तहत हिरासत में लिया गया था. ‘घर-घर में हो शौचालय का निर्माण, तभी होगा लाडली बिटिया का कन्यादान’ का नारा देने का श्रेय भी चौबे को जाता है. साथ ही, उन्होंने महादलित परिवारों के लिए 11,000 शौचालय बनाने में भी मदद की. मई 2014 के आम चुनाव में 16 वीं लोकसभा के लिए चुने गए. वह ऊर्जा पर संसद की प्राक्लन एवं स्थायी समिति के सदस्य हैं. वह केंद्रीय रेशम बोर्ड के भी सदस्य हैं.

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भागलपुर के दरियापुर के रहने वाले चौबे बिहार विधानसभा के लिए लगातार पांच बार चुने गए. वह 1995 - 2014 तक बिहार विधानसभा के सदस्य रहे. वह बिहार सरकार में आठ साल तक स्वास्थ्य, शहरी विकास और जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी सहित अहम विभागों के पदभार संभाल चुके हैं. 

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अश्विनी चौबे ने पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष के तौर पर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी. वह 1974 से 1987 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे. चौबे ने 1967-68 में बिहार सरकार के खिलाफ छात्र आंदोलन में भाग लिया था. उन्होंने केरल में 1972-73 में अखिल भारत छात्र नेता सम्मेलन में भी भाग लिया था. 

गौर करने वाली बात यह है कि आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी पटना विश्वविद्यालय में ही राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी.

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साल 2013 में अपने परिवार के साथ अश्विनी कुमार चौबे ने भीषण केदारनाथ बाढ़ का सामना किया था. उन्होंने इस आपदा पर ‘केदारनाथ त्रासदी’ पुस्तक भी लिखी है. उन्होंने प्राणिविज्ञान में बीएससी (आनर्स) किया है. केदारनाथ बाढ़ को याद कर वे सिहर जाते हैं. वे अपने कई इंटरव्यू में इसका जिक्र कर चुके हैं. योग में उनकी विशेष रूचि है.

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