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This Article is From Aug 26, 2018

डोकलाम पर राहुल गांधी के बयान पर एमजे अकबर का पलटवार- शासन व्यवस्था की न कोई जानकारी, न 'बौद्धिक ज्ञान'

राहुल गांधी ने लंदन में कहा था कि डोकलाम में अभी तक चीन की सेना मौजूद है. चीन के साथ डोकलाम विवाद कोई “अकेला मामला” नहीं था बल्कि ‘‘घटनाओं के सिलसिले” का एक हिस्सा था

डोकलाम पर राहुल गांधी के बयान पर एमजे अकबर का पलटवार- शासन व्यवस्था की न कोई जानकारी, न 'बौद्धिक ज्ञान'
डोकलाम के मुद्दे पर राहुल गांधी ने लंदन में पीएम मोदी पर निशाना साधा था
नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर  ने कहा कि डोकलाम संकट से जिस तरह से निपटा गया वह दिखाता है कि ‘‘हम अब 1960 के दशक वाला भारत नहीं रह गए हैं” और जो लोग इसे लेकर सरकार की आलोचना कर रहे हैं उनके पास शासन को लेकर “बौद्धिक स्तर की समझ” नहीं है. यहां गोवा के मापुसा में विदेश राज्यमंत्री ने कहा कि ‘‘ताकत” के जरिए ही शांति सुनिश्चित की जा सकती है क्योंकि ‘‘भारत की संभवत: परीक्षा’’ ली जा रही है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि जो इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना कर रहे हैं, “वह साफ तौर पर बार-बार यह साबित कर रहे हैं कि उन्हें शासन व्यवस्था की कोई जानकारी, कोई समझ नहीं और कोई बौद्धिक ज्ञान नहीं है.” राहुल गांधी ने लंदन में कहा था कि डोकलाम में अभी तक चीन की सेना मौजूद है. चीन के साथ डोकलाम विवाद कोई “अकेला मामला” नहीं था बल्कि ‘‘घटनाओं के सिलसिले” का एक हिस्सा था और अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस प्रक्रिया को ध्यान से देख रहे होते तो भारत इसे रोक सकता था.

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विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर ने कहा कि भारत “सभी प्रधानमंत्रियों” से बातचीत के लिए तैयार है लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश के प्रधानमंत्री आतंकवाद के सामने नहीं झुकेंगे. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ बातचीत शांति के माहौल में ही संभव है. 

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मापुसा में ‘21वीं सदी के लिए भारत की विदेश नीति’ पर बातचीत के दौरान अकबर ने कहा, “हमारे प्रधानमंत्री आतंकवाद के सामने कभी नहीं झुकेंगे.’’ उन्होंने कहा पाकिस्तान को अपने ‘महान दोस्त’ चीन से सीखना चाहिए कि उसके और भारत के बीच तमाम मतभेदों के बावजूद इतने सालों में ‘‘दोनों तरफ से एक भी गोली नहीं चली.”    वहीं आतंकवाद के संबंध में उन्होंने कहा कि उन्हें हैरानी होती है कि लोग आतंकवाद के खतरे को कैसे भुला सकते हैं और खासकर वे लोग जो 9/11 के समय अमेरिका में रह रहे थे.    

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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