एनडीए की बैठक में केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने रोस्टर सिस्टम का मामला उठाया. विश्वविद्यालयों में रोस्टर सिस्टम से भर्ती प्रक्रिया शुरू होने पर आरक्षित वर्ग के प्रोफेसर की संख्या और अधिक घट जाएगी. इससे एससी-एसटी व ओबीसी वर्ग में नाराजगी बढ़ती जा रही है.
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नई दिल्ली में आयोजित एनडीए की बैठक में विश्वविद्यालयों में रोस्टर सिस्टम के जरिए प्रोफेसर भर्ती का मामला प्रमुखता से उठाया और इस मामले में केंद्र सरकार से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की. अनुप्रिया पटेल ने बैठक में कहा कि रोस्टर सिस्टम को लेकर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जाति-जनजाति (एससी-एसटी) वर्ग के लोगों में गहरी नाराजगी है. अत: इस मामले को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार अतिशीघ्र हस्तक्षेप करे.
पिछले साल जुलाई में मानसून सत्र की बैठक से पहले भी एनडीए की बैठक में अनुप्रिया पटेल ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया था. मामले की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार ने विश्वविद्यालयों में रोस्टर सिस्टम के जरिए होने वाली भर्ती पर तत्काल रोक लगा दी थी. लेकिन पिछले सप्ताह उच्चतम न्यायालय द्वारा इस मामले में याचिका खारिज कर दिए जाने के बाद एक बार फिर से इस मामला ने तूल पकड़ लिया है.
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अनुप्रिया पटेल ने कहा कि पिछले दिनों मीडिया में खबर आई थी कि देश के 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एससी वर्ग के प्रोफेसर की संख्या महज 39 (3.47 प्रतिशत), एसटी वर्ग के प्रोफेसर की संख्या महज 8 (0.7 प्रतिशत) और ओबीसी वर्ग के प्रोफेसर की संख्या शून्य है. जबकि सामान्य वर्ग के प्रोफेसरों की संख्या 1125 में से 1071 (95.2 प्रतिशत) है. इसी तरह इन विश्वविद्यालयों में एससी वर्ग के एसोसिएट प्रोफेसरों की संख्या 130 (4.96 प्रतिशत), एसटी वर्ग के एसोसिएट प्रोफेसरों की संख्या 34 (1.30 प्रतिशत) और ओबीसी वर्ग के एसोसिएट प्रोफेसरों की संख्या शून्य है. जबकि सामान्य वर्ग के एसोसिएट प्रोफेसरों की संख्या 2620 में 2434 (92.90 प्रतिशत) है.
यदि उच्च शिक्षण संस्थानों में रोस्टर सिस्टम के जरिए प्रोफेसरों की भर्ती होगी तो आरक्षित वर्ग के प्रोफेसरों की संख्या आने वाले समय में और अधिक घट जाएगी. अत: मामले की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार तत्काल इस मामले में हस्तक्षेप करे.
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