जवानों के अर्द्धसैनिक बलों को छोड़ने का सिलसिला बढ़ने से गृह मंत्रालय चिंतित

जवानों के अर्द्धसैनिक बलों को छोड़ने का सिलसिला बढ़ने से गृह मंत्रालय चिंतित

अर्द्धसैनिक बलों में वीआरएस और इस्तीफा देकर नौकरी छोड़ने का सिलसिला बढ़ने से गृह मंत्रालय चिंतित है.

नई दिल्ली:

बीएसएफ जवान तेज बहादुर को बेशक केंद्र सरकार वीआरएस नहीं दे रही हो लेकिन अर्धसैनिक बलों में पिछले तीन सालों में करीब  21000 जवान और अफसर या तो वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति)ले चुके हैं या फिर इस्तीफा दे चुके हैं. गृह राज्यमंत्री किरेन रिजीज़ू ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब कहा कि 2014 से 2016 तक 20618 अर्धसैनिक बलों (सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, सीआईएसएफ और असम राइफल) में इस्तीफे आए हैं.

गृह मंत्रालय के मुताबिक सबसे ज्यादा वीआरएस सीआरपीएफ में लिए गए. पिछले तीन सालों में 5960 जवान और अफसर सीआरपीएफ से वीआरएस ले चुके हैं और 1206 ने इस्तीफे दिए. सिर्फ वर्ष 2016 में 57 गजेटेड अफसरों ने सीआरपीएफ छोड़ा. 542 सबआर्डिनेट अफसरों ने और 2155  जवानों ने वर्दी की जिंदगी को अलविदा किया.

यह चलन बीएसएफ में भी देखने को मिला. पिछले साल 52 गजेटेड अफसरों ने बीएसएफ छोड़ा जबकि इससे पहले 2015 में इनकी संख्या 36 और 2014 में 40 थी.   

अगर सिर्फ गजेटेड अफसरों की बात करें तो गृह मंत्रालय के मुताबिक पिछले साल यानी 2016 में 151 अफसरों ने अर्धसैनिक बलों को छोड़ा. कुल 1400 सबआर्डिनेट अफसरों ने और 7415 जवानों ने अर्धसैनिक बलों को छोड़ा.

मंत्रालय के मुताबिक जवानों ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल और असम राइफल पारिवारिक मुद्दों, स्वास्थ्य और घरेलू कारणों के कारण छोड़ा. कुछ ने पेंशन का लाभ उठाने के लिए वीआरएस लिया.

इस बात को लेकर गृह मंत्रालय में भी चिंता है क्योंकि यह देखने में आ रहा है कि यह चलन बढ़ता जा रहा है. एक अधिकारी ने बताया कि "सभी बलों में शिकायतें भी बहुत मिल रही हैं लेकिन सीआरपीएफ और बीएसएफ में से ज्यादा आ रही हैं."


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