नक्सल-प्रभावित इलाकों में वॉर-फुटिंग पर हो विकास : गृह मंत्रालय

नक्सल हमले के बाद का एक फाइल चित्र

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार अब नक्सल-प्रभावित इलाकों में नई रणनीति के तहत विकास पर ज़्यादा जोर देने जा रही है, और इन इलाकों में सड़कों, स्कूलों और टेलीकॉम कनेक्टिविटी पर फोकस किया जाएगा। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के साथ दिल्ली में नक्सल-प्रभावित राज्यों (छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना और ओडिशा) के मुख्यमंत्रियों ने बैठक की, जिसके बाद यह जानकारी मिली।

नई रणनीति में पहले चरण के तहत केंद्र सरकार ने पिन-प्वॉयन्टेड ऑपरेशन चलाने का फैसला किया है, और इसके लिए बस्तर इलाके पर खास चर्चा हुई। इस कामों के लिए 31 मार्च तक की डेडलाइन दी गई है। इसके अलावा सभी नक्सल-प्रभावित इलाकों में 500 मोबाइल टावर लगाए जाएंगे, ताकि कनेक्टिविटी का मसला कुछ हद तक हल हो सके। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया, "स्कूलों को लेकर भी चर्चा हुई... कई इलाकों में स्कूल भी खोले जाएंगे..." बैठक में यह भी तय किया गया कि मानसून आने से पहले छत्तीसगढ़ में विकास के काम पर वॉर-फुटिंग पर तवज्जो दी जाए, क्योंकि अगले छह महीने तक वहां काम की रफ्तार काफी कम हो जाती है।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने बताया, "हमने केंद्र सरकार से बस्तर के लिए 10 बटालियनों की मांग की है, चार हमें मिल गई हैं, बाकी मिलनी हैं... हमने सरकार से कहा है कि डीडी और रेडियो की फ्रीक्वेंसी भी जगदलपुर से आगे तक होनी चाहिए..."

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, "नक्सल-प्रभावित इलाकों के लोगों ने न रेल देखी है, न सड़क... हमारी सरकार इन तक दोनों को ले जाना चाहती है..."

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के नक्सल-प्रभावित बस्तर में सबसे ज्यादा संख्या में सीआरपीएफ के ऑफिसर और जवान शहीद हुए हैं। बस्तर में ही नक्सली हमले में पहले भी सीआरपीएफ के 76 ऑफिसर और जवान शहीद हो गए थे। यह देश में हुआ नक्सलियों का सबसे बड़ा हमला था। हाल ही में सुकमा में भी हमला हुआ, जिसमें सीआरपीएफ के कई जवान शहीद हो गए थे।

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इस बैठक में छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र और तेलंगाना के मुख्यमंत्रियों ने हिस्सा लिया तथा केंद्र सरकार की तरफ से शिक्षामंत्री स्मृति ईरानी के अलावा स्वास्थ्य मंत्रालय के उच्चाधिकारी भी शामिल थे।