देश के सभी हवाई अड्डों का होगा सिक्योरिटी ऑडिट, गृह मंत्रालय ने टीम गठित की

देश के सभी हवाई अड्डों का होगा सिक्योरिटी ऑडिट, गृह मंत्रालय ने टीम गठित की

प्रतीकात्मक फोटो

खास बातें

  • टीम को 20 दिन के अंदर गृह मंत्रालय को देनी होगी रिपोर्ट
  • सभी हवाई अड्डों की सुरक्षा का जिम्मा सीआईएसएफ को दिया जाएगा
  • देश के 98 में से 26 हवाई अड्डे बेहद संवेदनशील
नई दिल्ली:

विश्व भर में हवाई अड्डों पर हो रहे हमलों के मद्देनजर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देश के सभी एयरपोर्टों का सिक्योरिटी ऑडिट करने के निर्देश दिए हैं. इसके लिए ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (BCAS) और इंटेलीजेंस ब्यूरो (IB) के अफसरों की टीम बनाई गई है. इस टीम को 20 दिन के अंदर मंत्रालय को रिपोर्ट देनी है.

नागर विमानन मंत्रालय ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी के तहत सभी हवाई अड्डों की सुरक्षा के लिए एक अलग फोर्स चाहता था. लेकिन इस सुझाव को गृह मंत्रालय ने खारिज कर दिया है. अब फैसला लिया गया है कि देश के सभी हवाई अड्डों की सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) को दे दी जाएगी. यह फैसला एक उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया. इसमें गृह राज्यमंत्री किरेन रिजीजू, नागरिक उड्डयन मंत्री जयंत सिन्हा, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, डीआईबी दिनेश्वर शर्मा के अलावा गृह मंत्रालय और BCAS के अफसर शामिल थे.

गृह राज्यमंत्री किरेन रिजीजू ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि "हम हवाई अड्डों की सुरक्षा का पूरा घेरा बदल डालेंगे. एक प्लान पर सभी एजेंसियां काम कर रही हैं."

एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक इस उच्च स्तरीय बैठक में  यह नतीजा निकला कि भारत में जितने भी हवाई अड्डे हैं वे सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील हैं. सबसे ज्यादा खतरा उन रास्तों से है जो शहर की ओर से हवाई अड्डों की ओर जाते हैं. वहां से विस्फोटक आसानी से हवाई अड्डे तक पहुंचाए जा सकते हैं या फिर फिदायीन भी एंट्री गेट तक पहुंच सकते हैं. इसीलिए फैसला लिया गया कि शहर से एयरपोर्टों तक जाने वाले रास्तों पर रैंडम चेकिंग बढ़ाई जाए. हवाई अड्डों को दूसरा खतरा कार्गो साइड की तरफ से है. इसके लिए फैसला हुआ कि पेट्रोलिंग कार्गो एरिया भी बढ़ाया जाए. इसके अलावा तय किया गया कि जो मापदंड गृह मंत्रालय ने तय किए हैं उन्हें राज्यों को अपनाना होगा.

बैठक में फैसला हुआ कि जल्द ही देश के 98 एयरपोर्टों पर सीआईएसएफ की तैनाती की जाएगी. फिलहाल 98 हवाई अड्डों में से 59 सीआईएसएफ के पास हैं और बाकी 39 अन्य सुरक्षा बलों के अधीन हैं. गृह मंत्रालय के मुताबिक 98 में से 26 बेहद संवेदनशील हैं. दिल्ली और मुंबई के एयरपोर्ट  हाइपर सेंसिटिव कैटेगरी में आते हैं. अधिक संवेदनशील 26 हवाई अड्डों में से 18 में सीआईएसएफ की तैनाती है. श्रीनगर और इम्फाल में (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल) सीआरपीएफ सुरक्षा का जिम्मा निभाती है. सेंसिटिव कैटेगरी में 58 हवाई अड्डे हैं. इनमें से 37 में सीआईएसएफ सुरक्षा करती है. तीसरी श्रेणी के 16 हवाई अड्डों में से चार सीआईएसएफ के अधीन हैं.

सीआईएसएफ के डीजी सुरेंद्र सिंह के मुताबिक हवाई अड्डों की सुरक्षा सबसे अहम है. सुरक्षा कवच को और ज्यादा पुख्ता बनाने के लिए काउंटर इन्सर्जेन्सी के मैकेनिज्म को पुख्ता करने की जरूरत है. डीजी का यह भी कहना है कि हवाई अड्डों के पास साइड लेन भी होनी चाहिए ताकि अगर किसी गाड़ी पर संदेह हो तो वहां ले जाकर उसकी चेकिंग की जा सके. बैठक में यात्रियों के सामान को स्कैन करने के लिए हाईटेक सिस्टम लगाने का फैसला भी हुआ. एयरपोर्टों के बाहर बख्तरबंद गाड़ियों को तैनात करने का निर्णय भी लिया गया.

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का कहना था कि चूंकि गृह मंत्रालय के पास सुरक्षा ऑडिट करने का अधिकार है इसलिए समीक्षा भी मंत्रालय को ही करनी चाहिए न कि BCAS को. उनके मुताबिक हर एयरपोर्ट की संवेदनशीलता का आकलन किया जाना चाहिए और इसके लिए टीम को खुद समीक्षा के लिए सभी हवाई अड्डों पर जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि "हर एयरपोर्ट की संवेदनशीलता क्लासीफाइड की जानी चाहिए."  

बैठक में सबसे ज्यादा चिंता एयरपोर्टों के आसपास की इमारतों को लेकर जताई गई.  डोभाल का कहना था कि अगर BCAS इन इमारतों की सुरक्षा का आकलन नहीं कर सकता तो फिर यह आकलन गृह मंत्रालय को करना चाहिए. सिविल एविएशन सेक्रेटेरी राजीव नयन चौबे का सुझाव था कि बिहेवियर मॉनीटरिंग मैकेनिज्म और यात्रियों की प्रोफाइलिंग करना भी जरूरी है.


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