As women we feel vindicated by MJ Akbar’s resignation.
— Priya Ramani (@priyaramani) October 17, 2018
I look forward to the day when I will also get justice in court #metoo
पत्रकार प्रिया रमानी ने अकबर के इस्तीफ़े का स्वागत करते हुए कहा कि महिला होने के नाते, अकबर के इस्तीफ़े से, हमें लगता है, हमारा पक्ष सही साबित हुआ. अब मुझे उस दिन का इंतज़ार है जब मुझे भी अदालत से इंसाफ़ मिलेगा. महिला पत्रकार प्रिया रमानी ने ही अकबर के खिलाफ सबसे पहले यौन उत्पीड़न की शिकायत की थी. बता दें कि एमजे अकबर ने भी प्रिया रमानी के ख़िलाफ़ मानहानि का केस किया है. इस मामले में गुरुवार को सुनवाई होनी है.
It definitely took some time because some inquiry must be going on but finally they took the decision and that is what matters. I welcome this decision as I was looking forward to it: Rekha Sharma, NCW Chief on #MJAkbar's resignation pic.twitter.com/sYrHVAsbkv
— ANI (@ANI) October 17, 2018
उधर, राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने अकबर के इस्तीफे का स्वागत किया है. महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि आखिरकार सरकार ने महिलाओं की आवाज सुनी. मुझे इसकी उम्मीद थी.
Finally MJ Akbar has resigned. Shame on him for having delayed it for so long. The credit for the resignation goes not to the Centre or MJ Akbar but directly to the #MeToo campaign. Esp to those brave women who reported the assault & those women and men who stood by them.
— Swati Maliwal (@SwatiJaiHind) October 17, 2018
वहीं, दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष (DCW) स्वाति मालिवाल ने कहा कि आखिरकर एमजे अकबर ने इस्तीफा दे दिया. इस्तीफे में इतने समय तक देरी के लिए उन्हें शर्म आनी चाहिए. इस्तीफे का क्रेडिट न तो अकबर को जाना चाहिए और नहीं केंद्र सरकार को, क्योंकि यह इस्तीफा मीटू अभियान के दबाव के बाद हुआ है.
द एशियन एज अखबार की रेजिडेंट एडिटर सुपर्णा शर्मा ने कहा कि वह इस्तीफे का स्वागत करती हैं. उन्होंने कहा, 'यह हमारे लिए बड़ा क्षण है. आरोपों की पुष्टि होती है. हालांकि उनके दिल्ली पहुंचते ही यह कदम उठाया जाना चाहिए था, लेकिन अब कम से कम शक्ति असंतुलन नहीं होगा और यह सरकार और रमानी के बीच लड़ाई नहीं होगी.
उधर, अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला संगठन की सचिव कविता कृष्णन ने कहा कि 20 महिलाओं के साहस और प्रतिबद्धता के कारण अकबर को देर से ही सही, लेकिन पद छोड़ना पड़ा. महिला अधिकार कार्यकर्ता रंजना कुमारी ने कहा कि अकबर को शर्म आनी चाहिए कि उन्होंने पहले इस्तीफा नहीं दिया.
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उधर, एशियन एज अख़बार की वर्तमान और पूर्व 19 महिला पत्रकारों ने पटियाला हाउस कोर्ट से अपील की है कि उन्हें भी एमजे अकबर के बारे में अपने अनुभव को बताने का मौका दिया जाए. उन्होंने प्रिया रमानी का समर्थन किया है और कहा है कि प्रिया रमानी अकेली नहीं हैं, वो उनके साथ हैं.
VIDEO : विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर ने दिया इस्तीफा
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