उल्कापिंड गिरने से कॉलेज इमारत कॉम्प्लेक्स के पास एक छोटा गड्ढा बन गया
चेन्नई:
तमिलनाडु के वेल्लोर में एक शख्स की मौत का कारण बनी रहस्यमय वस्तु की वैज्ञानिक जांच कर रहे हैं। उनका मानना है कि आसमान से गिरा यह वस्तु उल्कापिंड हो सकता है। अगर उनकी आशंका सही साबित हुई तो बीते करीब 200 वर्षों में उल्कापिंड से हुई यह पहली मौत होगी। इससे पहले आखिरी बार साल 1825 में उल्कापिंड की वजह से किसी की मौत हुई थी।
वेल्लोर में निजी इंजीनियरिंग कॉलेज के भवन परिसर के करीब इस वस्तु के गिरने से तेज धमाका हुआ था। इस विस्फोट के कारण वहां एक गड्ढ़ा बन गया। चश्मदीदों के मुताबिक, यह वस्तु आसमान से गिरी थी। कॉलेज में काम करने वाला एक ड्राइवर उसी वक्त वहां से गुजर रहा था और विस्फोट की चपेट में आने से उसकी मौत हो गई। इस हादसे में तीन छात्र घायल भी हो गए, जिन्हें स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
राज्य की मुख्यमंत्री जयललिता ने कहा कि यह दुर्घटना उल्कापिंड गिरने से हुई। उन्होंने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा, 'वेल्लोर जिले के के. पंतारापल्ली गांव स्थित एक निजी इंजीनियरिंग कॉलेज परिसर में उल्कापिंड गिरने से हादसा हुआ।' उन्होंने कॉलेज के बस चालक कामराज की मौत पर दुख जताते हुए उसके परिवार को मुख्यमंत्री राहत कोष से एक लाख रुपये की अनुग्रह राशि और तीन घायलों को 25-25 हजार रुपये की सहायता देने की घोषणा की।
अधिकारियों को शुरुआत में शक था कि यह धमाका निर्माण कार्य के बाद गलती से छूट गए विस्फोटकों की वजह से हुआ होगा। हालांकि घटना स्थल की जांच में ऐसे किसी विस्फोटक तत्व के सुबूत नहीं मिले। जिले के एक अधिकारी ने नाम ना बताने की शर्त कहा, 'जब किसी विस्फोटक के सबूत नहीं मिले, तो हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि यह उल्कापिंड हो सकता है। हालांकि इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उस वस्तु की जांच अभी चल रही है, ऐसे में पक्के तौर पर यह नहीं कहा जा सकता।
अगर यह शक सही साबित हुआ तो उल्कापिंड की वजह से भारत में यह पहली मौत होगी, जबकि दुनिया में 200 सालों में इस तरह की मौत का यह पहला मामला होगा। एक विज्ञान पत्रिका इंटरनेशनल कॉमेट के मुताबिक, साल 1825 में उल्कापिंड की वजह से आखिरी मौत हुई थी। वहीं इससे पहले साल 2013 में मध्य रूस के पास एक उल्कापिंड गिरा था। इस धमाके से करीब 1200 लोग घायल हो गए थे।
वेल्लोर में निजी इंजीनियरिंग कॉलेज के भवन परिसर के करीब इस वस्तु के गिरने से तेज धमाका हुआ था। इस विस्फोट के कारण वहां एक गड्ढ़ा बन गया। चश्मदीदों के मुताबिक, यह वस्तु आसमान से गिरी थी। कॉलेज में काम करने वाला एक ड्राइवर उसी वक्त वहां से गुजर रहा था और विस्फोट की चपेट में आने से उसकी मौत हो गई। इस हादसे में तीन छात्र घायल भी हो गए, जिन्हें स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
राज्य की मुख्यमंत्री जयललिता ने कहा कि यह दुर्घटना उल्कापिंड गिरने से हुई। उन्होंने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा, 'वेल्लोर जिले के के. पंतारापल्ली गांव स्थित एक निजी इंजीनियरिंग कॉलेज परिसर में उल्कापिंड गिरने से हादसा हुआ।' उन्होंने कॉलेज के बस चालक कामराज की मौत पर दुख जताते हुए उसके परिवार को मुख्यमंत्री राहत कोष से एक लाख रुपये की अनुग्रह राशि और तीन घायलों को 25-25 हजार रुपये की सहायता देने की घोषणा की।
अधिकारियों को शुरुआत में शक था कि यह धमाका निर्माण कार्य के बाद गलती से छूट गए विस्फोटकों की वजह से हुआ होगा। हालांकि घटना स्थल की जांच में ऐसे किसी विस्फोटक तत्व के सुबूत नहीं मिले। जिले के एक अधिकारी ने नाम ना बताने की शर्त कहा, 'जब किसी विस्फोटक के सबूत नहीं मिले, तो हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि यह उल्कापिंड हो सकता है। हालांकि इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उस वस्तु की जांच अभी चल रही है, ऐसे में पक्के तौर पर यह नहीं कहा जा सकता।
अगर यह शक सही साबित हुआ तो उल्कापिंड की वजह से भारत में यह पहली मौत होगी, जबकि दुनिया में 200 सालों में इस तरह की मौत का यह पहला मामला होगा। एक विज्ञान पत्रिका इंटरनेशनल कॉमेट के मुताबिक, साल 1825 में उल्कापिंड की वजह से आखिरी मौत हुई थी। वहीं इससे पहले साल 2013 में मध्य रूस के पास एक उल्कापिंड गिरा था। इस धमाके से करीब 1200 लोग घायल हो गए थे।
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