ओ. पन्नीरसेल्वम को तमिलनाडु का नया मुख्यमंत्री बनाया गया है
खास बातें
- 22 सितंबर से पन्नीरसेल्वम संभाल रहे थे मुख्यमंत्री का कार्यभार
- 1970 में ओ पन्नीरसेल्वम ने खोला था अपने दोस्त की मदद से टी स्टॉल
- पेरियाकुलम नगरपालिका का चेयरमैन बनकर आए राजनीति में
नई दिल्ली: जयललिता के निधन के बाद उनके अत्यंत विश्वस्त रहे मंत्री ओ पन्नीरसेल्वम को अन्नाद्रमुक ने पार्टी का नया नेता चुन लिया और देर रात राज्यपाल सी विद्यासागर राव ने मुख्यमंत्री के रूप में उनको पद एवं गोपनीयता की शपथ भी दिलाई. हालांकि पन्नीरसेल्वम 22 सितंबर से अनौपचारिक रूप से कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में कार्य कर रहे थे. पन्नीरसेल्वम थेवर समुदाय से हैं और दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं.पन्रनीरसेल्वम अपनी वफादारी वाली छवि की वजह से जाने जाते हैं.
इससे पहले भी दो बार उस वक्त मुख्यमंत्री बने थे जब भ्रष्टाचार के मामलों के चलते जयललिता को पद से हटना पड़ा था. लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि ओ. पन्नीरसेल्वम चाय दुकान के मालिक थे और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह कभी चाय बेचा करते थे.
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ओ पन्नीरसेल्वम का जन्म 14 जनवरी 1951 को पेरियाकुलम हुआ था. 1970 में उन्होंने अपने एक दोस्त के साथ मिलकर एक चाय स्टॉल भी खोला था. बाद में अपने दोस्त की मदद में राजनीति में आए. पन्नीरसेल्वम वर्तमान में बोदिनायक्कनुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं जो कि थेणी जिले के अंतर्गत आती है. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत पेरियाकुलम नगरपालिका के चेयरमैन के तौर पर की. वह 1996 से 2001 तक इस पद पर रहे.
2001 में पहली बार बने थे मुख्यमंत्री
21 सितंबर 2001 को सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद जयललिता को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. तब पनीरसेल्वम ने राज्य के 13वें मुख्यमंत्री के तौर पर सत्ता संभाली थी. नका कार्यकाल छह माह का रहा. 21 सितंबर से 1 मार्च 2002 तक वह मुख्यमंत्री रहे. 2002 में उपचुनाव जीतकर जयललिता मुख्यमंत्री बन गईं. 2 मार्च 2002 से 13 दिसंबर 2003 तक वह मंत्री रहे.
2006 में विपक्ष के नेता रहे
मई 2006 में हुए विधानसभा चुनाव में जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके को शिकस्त मिली. करुणानिधि की पार्टी डीएमके ने बहुमत हासिल कर सरकार बनाई. ऐसे में ओ पन्नीरसेल्वम विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे.
2014 में फिर संभाली मुख्यमंत्री की कुर्सी
2011 में पन्नीरसेल्वम ने बोदिनायकनुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. बाद में उन्हें जयललिता के मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री के रूप में शामिल किया गया. वह 16 मई 2011 से 27 सितंबर 2014 तक वित्त मंत्री रहे. बाद में जब जयललिता पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे और उन्हें जेल जाना पड़ा था, उस समय भी पनीरसेल्वम ने राज्य की कमान संभाली थी.