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This Article is From Feb 15, 2012

दिल्ली में भूकम्प की अनचाही तबाही से बचने की हुई ड्रिल

नई दिल्ली: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) मेट्रो स्टेशन पर बुधवार को पूर्वाह्न् 11 बजे सायरन की आवाज ने सभी यात्रियों को चौंका दिया। देखते ही देखते कई लोग जमीन पर गिर गए तो कुछ ने अपना सिर ढंक लिया और कई लोगों ने कुर्सी के नीचे शरण ली।

ऐसा लग रहा था जैसे भूकम्प आया हो। लेकिन यह भूकम्प नहीं, बल्कि इससे निपटने की तैयारियों का जायजा लेने तथा लोगों को इसके प्रति जागरूक बनाने के लिए किया गया 'मॉक ड्रिल' था, जिसका आयोजन बुधवार को पूरी दिल्ली में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) और दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने किया था।

'मॉक ड्रिल' का आयोजन स्कूलों, मॉल, बाजार सहित राजधानी के सैकड़ों स्थानों पर किया गया। दिल्ली पुलिस तथा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के अधिकारियों ने बताया कि ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए और क्या नहीं। साथ ही उन्होंने 'घायलों' और अन्य को भी सुरक्षित बाहर निकालने का अभ्यास किया।

दिल्ली मेट्रो रेल निगम के प्रवक्ता हिमांशु शर्मा ने कहा, "हम जानते हैं कि प्राकृतिक आपदा से लोगों में भय व आतंक पैदा होता है, लेकिन हम व्यवस्था तथा शांति बनाए रखने की तैयारी कर सकते हैं।"

'मॉक ड्रिल' 218 सरकारी व 24 निजी स्कूलों, 31 कॉलेजों, 11 सरकारी व 11 निजी अस्पतालों, चार सिनेमा हॉल, 19 रेजीडेंट वेल्फेयर एसोसिएशन, 13 सरकारी दफ्तरों के भवन, आठ बाजार/व्यापार एसोसिएशन तथा दो पेट्रोल पम्पों पर आयोजित किया गया है।

छह मेट्रो स्टेशनों पर यात्रियों को बाहर निकाल लिया गया। बहुत से लोगों को इस बारे में जानकारी नहीं थी और ऐसे में वे एक-दूसरे से इस बारे में पूछते पाए गए। मेट्रो रेल सेवा करीब आधे घंटे तक बाधित रहने के कारण कुछ लोगों में झुंझलाहट भी देखी गई।

दिल्ली मेट्रो के एक अधिकारी के अनुसार, "मॉक ड्रिल में करीब 1,500 कर्मचारियों ने हिस्सा लिया।"

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