पीएम नरेंद्र मोदी मन की बात (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात का आरम्भ भारत के महान वैज्ञानिक एवं नोबेल पुरस्कार विजेता सर सी वी रमन को याद करते हुए किया, जिनके द्वारा 28 फ़रवरी को रमन इफ़ेक्ट की खोज किए जाने पर इस दिन को नेशनल साइंस डे के रूप में मनाया जाता है. उन्होंने कहा कि भारत के महान वैज्ञानिकों में एक तरफ़ महान गणितज्ञ बोधायन, भास्कर, ब्रह्मगुप्त और आर्यभट्ट की परंपरा रही है, तो दूसरी तरफ़ चिकित्सा के क्षेत्र में सुश्रुत और चरक हमारा गौरव हैं. सर जगदीश चन्द्र बोस,हरगोविंद खुराना, सत्येन्द्र नाथ बोस जैसे वैज्ञानिक भारत के गौरव हैं.
उन्होंने कहा कि हम सब बहुत बार रास्तों पर लिखे हुए बोर्ड पढ़ते हैं जिनमें लिखा होता है –
- “सतर्कता हटी-दुर्घटना घटी”
- “एक भूल करे नुकसान, छीने खुशियाँ और मुस्कान”
- “इतनी जल्दी न दुनिया छोड़ो, सुरक्षा से अब नाता जोड़ो”
- “सुरक्षा से न करो कोई मस्ती, वर्ना ज़िंदगी होगी सस्ती”
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं को अगर छोड़ दें तो ज़्यादातर दुर्घटनाएं, हमारी कोई-न-कोई गलती का परिणाम होती हैं. अगर हम सतर्क रहें, आवश्यक नियमों का पालन करें तो हम अपने जीवन की रक्षा तो कर ही सकते हैं, लेकिन, बहुत बड़ी दुर्घटनाओं से भी हम समाज को बचा सकते हैं.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से दिव्यांगों का जीवन सुगम बनाने में मदद मिलेगी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के माध्यम से किस तरह दिव्यांग भाइयों और बहनों का जीवन सुगम बनाने में मदद मिल सकती है, प्राकृतिक आपदाओं के बारे में बेहतर अनुमान लगा सकते हैं, किस तरह फ़सलों की पैदावार बढ़ने में सहायता कर सकते हैं? उन्होंने कहा कि अहमदाबाद के एक नौजवान ने एक ऐसा यन्त्र बनाया है जिससे AI के माध्यम से अपनी बात लिखते ही वो आवाज में बदल जाती है और इस तरह एक बोल सकने वाले व्यक्ति के साथ संवाद किया जा सकता है AI का उपयोग ऐसी कई विधाओं में किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से रोबोट्स, बूट्स और स्पेसिफिक टॉस्क करने वाली मशीनें बनाने बनायी जाती हैं जो सेल्फ लर्निंग से अपनी इंटेलिजेंस को और अधिक स्मार्ट बनाती हैं. इस टेक्नोलॉजी का उपयोग ग़रीबों,वंचितों या ज़रुरतमंदों का जीवन बेहतर करने के लिए किया जा सकता है.
एडिसन अपने प्रयोगों में कई बार असफ़ल रहे
पीएम मोदी ने कहा कि लाइट ब्लब का आविष्कार करने वाले थॉमस ऐलवा एडिसन ने अपने प्रयोगों में कई बार असफ़ल रहे. इस बारे में पूछने पर उन्होंने जवाब दिया –“मैंने लाइट ब्लब नहीं बनाने के दस हज़ार तरीक़े खोज़े हैं”, यानि एडिसन ने अपनी असफलताओं को भी अपनी शक्ति बना लिया. उन्होंने कहा कि एसाइंस और टेक्नोलॉजी, वैलेयू नेचुरल होती हैं. इनमें मूल्य, अपने आप नहीं होते हैं .कोई भी मशीन वैसा ही कार्य करेगी जैसा हम चाहेंगे, लेकिन यह हम पर निर्भर करता है कि हम मशीन से क्या काम लेना चाहते हैं . यहां पर मानवीय-उद्धेश्य महत्वपूर्ण हो जाता है.
महर्षि अरबिन्दो नेे ब्रिटिश शासन को चुनौती दी थी
उन्होंने कहा कि संयोग से सौभाग्य है कि आज मैं महर्षि अरबिन्दो की कर्मभूमि ‘Auroville’ में हूं जिन्होंने एक क्रांतिकारी के रूप में उन्होंने ब्रिटिश शासन को चुनौती दी, उनके ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी और उनके शासन पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि एक महान ऋषि के रूप में उन्होंने जीवन के हर पहलू के सामने सवाल रखा, उत्तर खोज़ निकाला और मानवता को राह दिखाई.सच्चाई को जानने के लिए बार-बार प्रश्न पूछने की भावना महत्वपूर्ण है. वैज्ञानिक ख़ोज के पीछे की असल प्रेरणा भी तो यही है. तब तक चैन से नहीं बैठना चाहिये जब तक क्यों, क्या और कैसे जैसे प्रश्नों का उत्तर न मिल पाए.
उन्होंने कहा कि नेशनल साइंस डे के अवसर पर मैं हमारे वैज्ञानिकों और विज्ञान से जुड़े सभी लोगों को बधाई देता हूं. हमारी युवा-पीढ़ी, सत्य और ज्ञान की खोज़ के लिए प्रेरित हो, विज्ञान की मदद से समाज की सेवा करने के लिए प्रेरित हो, इसके लिए मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं.
गौरतलब है 'मन की बात' आकाशवाणी पर प्रसारित किया जाने वाला एक कार्यक्रम है जिसके जरिए भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत के नागरिकों को संबोधित करते हैं. इस कार्यक्रम का पहला प्रसारण 3 अक्तूबर 2014 को किया गया था. जनवरी 2015 में अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी उनके साथ इस कार्यक्रम में भाग लिया था तथा भारत की जनता के प्रश्नों के उत्तर दिए थे.
उन्होंने कहा कि हम सब बहुत बार रास्तों पर लिखे हुए बोर्ड पढ़ते हैं जिनमें लिखा होता है –
- “सतर्कता हटी-दुर्घटना घटी”
- “एक भूल करे नुकसान, छीने खुशियाँ और मुस्कान”
- “इतनी जल्दी न दुनिया छोड़ो, सुरक्षा से अब नाता जोड़ो”
- “सुरक्षा से न करो कोई मस्ती, वर्ना ज़िंदगी होगी सस्ती”
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं को अगर छोड़ दें तो ज़्यादातर दुर्घटनाएं, हमारी कोई-न-कोई गलती का परिणाम होती हैं. अगर हम सतर्क रहें, आवश्यक नियमों का पालन करें तो हम अपने जीवन की रक्षा तो कर ही सकते हैं, लेकिन, बहुत बड़ी दुर्घटनाओं से भी हम समाज को बचा सकते हैं.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से दिव्यांगों का जीवन सुगम बनाने में मदद मिलेगी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के माध्यम से किस तरह दिव्यांग भाइयों और बहनों का जीवन सुगम बनाने में मदद मिल सकती है, प्राकृतिक आपदाओं के बारे में बेहतर अनुमान लगा सकते हैं, किस तरह फ़सलों की पैदावार बढ़ने में सहायता कर सकते हैं? उन्होंने कहा कि अहमदाबाद के एक नौजवान ने एक ऐसा यन्त्र बनाया है जिससे AI के माध्यम से अपनी बात लिखते ही वो आवाज में बदल जाती है और इस तरह एक बोल सकने वाले व्यक्ति के साथ संवाद किया जा सकता है AI का उपयोग ऐसी कई विधाओं में किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से रोबोट्स, बूट्स और स्पेसिफिक टॉस्क करने वाली मशीनें बनाने बनायी जाती हैं जो सेल्फ लर्निंग से अपनी इंटेलिजेंस को और अधिक स्मार्ट बनाती हैं. इस टेक्नोलॉजी का उपयोग ग़रीबों,वंचितों या ज़रुरतमंदों का जीवन बेहतर करने के लिए किया जा सकता है.
एडिसन अपने प्रयोगों में कई बार असफ़ल रहे
पीएम मोदी ने कहा कि लाइट ब्लब का आविष्कार करने वाले थॉमस ऐलवा एडिसन ने अपने प्रयोगों में कई बार असफ़ल रहे. इस बारे में पूछने पर उन्होंने जवाब दिया –“मैंने लाइट ब्लब नहीं बनाने के दस हज़ार तरीक़े खोज़े हैं”, यानि एडिसन ने अपनी असफलताओं को भी अपनी शक्ति बना लिया. उन्होंने कहा कि एसाइंस और टेक्नोलॉजी, वैलेयू नेचुरल होती हैं. इनमें मूल्य, अपने आप नहीं होते हैं .कोई भी मशीन वैसा ही कार्य करेगी जैसा हम चाहेंगे, लेकिन यह हम पर निर्भर करता है कि हम मशीन से क्या काम लेना चाहते हैं . यहां पर मानवीय-उद्धेश्य महत्वपूर्ण हो जाता है.
महर्षि अरबिन्दो नेे ब्रिटिश शासन को चुनौती दी थी
उन्होंने कहा कि संयोग से सौभाग्य है कि आज मैं महर्षि अरबिन्दो की कर्मभूमि ‘Auroville’ में हूं जिन्होंने एक क्रांतिकारी के रूप में उन्होंने ब्रिटिश शासन को चुनौती दी, उनके ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी और उनके शासन पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि एक महान ऋषि के रूप में उन्होंने जीवन के हर पहलू के सामने सवाल रखा, उत्तर खोज़ निकाला और मानवता को राह दिखाई.सच्चाई को जानने के लिए बार-बार प्रश्न पूछने की भावना महत्वपूर्ण है. वैज्ञानिक ख़ोज के पीछे की असल प्रेरणा भी तो यही है. तब तक चैन से नहीं बैठना चाहिये जब तक क्यों, क्या और कैसे जैसे प्रश्नों का उत्तर न मिल पाए.
उन्होंने कहा कि नेशनल साइंस डे के अवसर पर मैं हमारे वैज्ञानिकों और विज्ञान से जुड़े सभी लोगों को बधाई देता हूं. हमारी युवा-पीढ़ी, सत्य और ज्ञान की खोज़ के लिए प्रेरित हो, विज्ञान की मदद से समाज की सेवा करने के लिए प्रेरित हो, इसके लिए मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं.
गौरतलब है 'मन की बात' आकाशवाणी पर प्रसारित किया जाने वाला एक कार्यक्रम है जिसके जरिए भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत के नागरिकों को संबोधित करते हैं. इस कार्यक्रम का पहला प्रसारण 3 अक्तूबर 2014 को किया गया था. जनवरी 2015 में अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी उनके साथ इस कार्यक्रम में भाग लिया था तथा भारत की जनता के प्रश्नों के उत्तर दिए थे.
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