28 साल से सुधीर कुमार डीडीए के चक्कर काट रहे हैं...म्यूटेशन करवाने के लिए। इनके पिता ने सुधीर कुमार के नाम मकान करवाने के लिए 1987 में आवेदन दिया था, पूरे कागजात भी जमा करवाए।
लेकिन डीडीए ने कहा कि फाइल गुम हो गई है, लिहाजा सारे कागज़ात दोबारा देने होंगे। अब सुधीर कहते हैं कि फाइल अगर गुम हो गई तो जिम्मेदारी हमारी नहीं। बल्कि डीडीए की है। तो फिर हमें क्यों परेशान किया जा रहा है।
दिलशाद गार्डन के आर ब्लॉक के एमआइजी फ्लैट नंबर 9D को सुधीर के पिता उनके नाम करवाना चाहते थे। आवेदन करने के साल भर बाद ही उनका देहांत हो गया और मामला खिंचता चला गया। थक हारकर सुधीर ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
लेकिन कहते हैं कि मामला ऐसे ही निपट जाए तो केस वापस ले लेंगे। जब ये मामला हमने डीडीए के उपाध्यक्ष के सामने रखा तो निपटारे का भरोसा मिला है। डीडीए के उपाध्यक्ष ने कहा कि अगर वो हमारे पास आते हैं और फोटो कॉपी भी दिखाएंगे तो हम एक दिन में ही म्यूटेशन का काम कर देंगे।
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