प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
भारतीय सेना में बड़े बदलाव की योजना पर काम चल रहा है. अगर योजना के अनुरुप काम होता है तो अगले दो साल में भारतीय सेना के अंदर ब्रिगेडियर और मेजर जनरल के रैंकों का विलय हो सकता है. यह एक कदम है जो सेना बल को पुनर्गठित करने के लिए सबसे व्यापक योजनाओं का हिस्सा है. हालांकि, इन योजनाओं को धरातल पर लागू किए जाने से पहले रक्षा मंत्रालय की मंजूरी की आवश्यकता होगी. रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, "एक ब्रिगेड को कमांड करने वाले अधिकारी को ब्रिगेडियर नामित किया जाएगा, लेकिन जब वह अधिकारी एक स्टाफ पद पर आता है, तो उसे मेजर जनरल नामित किया जाएगा और उसे किसी भी बोर्ड की प्रक्रिया से गुजरने की आवश्यकता नहीं होगी." बता दें कि भारतीय सेना में एक ब्रिगेड लगभग तीन हजार पुरुषों और महिलाओं से मिलकर बना है.
दूसरे शब्दों में कहें, तो मेजर जनरल नामित एक अधिकारी के लिए कोई अलग से आकलन या 'बोर्ड' नहीं होगा. इस रैंक को पूरी तरह से नियुक्त की गई भूमिकाओं और जिम्मेदारियों के आधार दिया जाएगा. इस संबंध में एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी से कहा, "ब्रिगेडियर और मेजर जनरल के पद का आपस में विलय कर दिया जाएगा, साथ-साथ वे वित्तीय रूप से भी एक ही ग्रेड पे में होंगे." दोनों रैंकों के विलय से प्रत्येक बैच में 80 और ऑफिसर को जाने का मौका मिलेगा. वर्तमान में, सेना के भीतर पदोन्नति की पिरामिड प्रणाली का मतलब है कि सबसे योग्य उम्मीदवारों में से कुछ ही कर्नल के पद से आगे बढ़ते हैं.
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भारतीय सेना अपने बजट को ध्यान में रखते हुए भविष्य की चुनौतियों से पार पाने की योजना पर भी काम कर रही है. दिल्ली स्थित सेना मुख्यालय में अब मुख्य रूप ले कर्नल पद के अधिकारियों और उपरोक्त अधिकारियों द्वारा लेफ्टिनेंट कर्नल समेत अधिकांश युवा अधिकारियों को फील्ड फॉर्मेशन की ताकत बढ़ाने के लिए तैनात किया जाएगा. इन बदलावों के साथ सेना मुख्यालय में अधिकारियों की संख्या 1,450 से घटकर 1,250 रह जाएगी. हालांकि, 100 रिटायर्ड अधिकारियों या विशेषज्ञों को ‘पुनर्नियुक्त अधिकारियों' के रूप में भर्ती करने की भी योजना है.
खतरों की संभावना को देखते हुए इनसे निपटने के लिए कुछ नई पोस्ट भी बनाए जाएंगे, जबकि कुछ पोस्ट को हटा दिया जाएगा. इसी के साथ सेना के पास अब एक लेफ्टिनेंट जनरल होगा, जो महानिदेशक (सूचना वारफेयर) पद का नेतृत्व करेगा, जबकि सेना के विभिन्न शाखाओं को अधिकारियों और जवानों के प्रशिक्षण की तलाश में युक्तिसंगत बनाया जाएगा. सेना के उप प्रमुख और महानिदेशक (प्रशिक्षण) अब प्रशिक्षण प्रक्रिया में शामिल नहीं होंगे. इसके बजाए, सेना प्रशिक्षण कमांड (एआरटीआरएसी) इस कार्य को पूरी तरह से देखेगी. मेजर जनरल को अब सेना के विजिलेंस सेल का प्रमुख नियुक्त किया जाएगा और वो सीधे सेना प्रमुख को रिपोर्ट करेगा. जबकि, वित्तीय योजना के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल उप प्रमुख को रिपोर्ट करेंगे.
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सेना में प्रस्तावित बदलाव की अंतिम रिपोर्ट रक्षा मंत्रालय को भेजे जाने से पहले सेना इसे साल 2019 तक देश भर के चुनिंदा संरचानाओं पर टेस्ट करेगी. सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि इसका लक्ष्य डुप्लिकेश को कम करना, कम समय में निर्णय लेने को सुनिश्चित करना, अधिक जवाबदेही और अधिक क्षमता को दर्शाते हुए विभिन्न वर्टिकल्स में उच्च तालमेल के साथ काम करना है.
इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप (आईबीजी) के कॉन्सेप्ट पर काम करने का नया विवरण भी सेना के प्लान का हिस्सा है. सूत्रों ने एनडीटीवी को संकेत दिया है कि प्रत्येक आईबीजी ब्रिगेड (3,000 पुरुष और महिला) से बड़ा होगा, लेकिन एक विभाजन (9, 000-10,000 पुरुष और महिला) से छोटा होगा, प्रत्येक आईबीजी को इस तरीके से डिजाइन किया जाएगा कि इसे सीमाओं पर तनाव की स्थिति में जल्दी से तैनात किया जा सके. प्रत्येक आईबीजी में अभिन्न पैदल सेना, कवच, तोपखाने, पुनर्जागरण के साथ-साथ सपोर्ट यूनिट भी होंगे.
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दूसरे शब्दों में कहें, तो मेजर जनरल नामित एक अधिकारी के लिए कोई अलग से आकलन या 'बोर्ड' नहीं होगा. इस रैंक को पूरी तरह से नियुक्त की गई भूमिकाओं और जिम्मेदारियों के आधार दिया जाएगा. इस संबंध में एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी से कहा, "ब्रिगेडियर और मेजर जनरल के पद का आपस में विलय कर दिया जाएगा, साथ-साथ वे वित्तीय रूप से भी एक ही ग्रेड पे में होंगे." दोनों रैंकों के विलय से प्रत्येक बैच में 80 और ऑफिसर को जाने का मौका मिलेगा. वर्तमान में, सेना के भीतर पदोन्नति की पिरामिड प्रणाली का मतलब है कि सबसे योग्य उम्मीदवारों में से कुछ ही कर्नल के पद से आगे बढ़ते हैं.
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खतरों की संभावना को देखते हुए इनसे निपटने के लिए कुछ नई पोस्ट भी बनाए जाएंगे, जबकि कुछ पोस्ट को हटा दिया जाएगा. इसी के साथ सेना के पास अब एक लेफ्टिनेंट जनरल होगा, जो महानिदेशक (सूचना वारफेयर) पद का नेतृत्व करेगा, जबकि सेना के विभिन्न शाखाओं को अधिकारियों और जवानों के प्रशिक्षण की तलाश में युक्तिसंगत बनाया जाएगा. सेना के उप प्रमुख और महानिदेशक (प्रशिक्षण) अब प्रशिक्षण प्रक्रिया में शामिल नहीं होंगे. इसके बजाए, सेना प्रशिक्षण कमांड (एआरटीआरएसी) इस कार्य को पूरी तरह से देखेगी. मेजर जनरल को अब सेना के विजिलेंस सेल का प्रमुख नियुक्त किया जाएगा और वो सीधे सेना प्रमुख को रिपोर्ट करेगा. जबकि, वित्तीय योजना के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल उप प्रमुख को रिपोर्ट करेंगे.
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इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप (आईबीजी) के कॉन्सेप्ट पर काम करने का नया विवरण भी सेना के प्लान का हिस्सा है. सूत्रों ने एनडीटीवी को संकेत दिया है कि प्रत्येक आईबीजी ब्रिगेड (3,000 पुरुष और महिला) से बड़ा होगा, लेकिन एक विभाजन (9, 000-10,000 पुरुष और महिला) से छोटा होगा, प्रत्येक आईबीजी को इस तरीके से डिजाइन किया जाएगा कि इसे सीमाओं पर तनाव की स्थिति में जल्दी से तैनात किया जा सके. प्रत्येक आईबीजी में अभिन्न पैदल सेना, कवच, तोपखाने, पुनर्जागरण के साथ-साथ सपोर्ट यूनिट भी होंगे.
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