महाराष्ट्र में वर्ष 2015 शुरू होने के बाद से स्वाइन फ्लू ने अब तक लगभग हर रोज़ एक मरीज़ की जान ली है। राज्यभर में स्वाइन फ्लू से अब तक 38 लोगों की मौत हो चुकी है, और सिर्फ मुंबई में ही एच-1 एन-1 वायरस से पांच लोग दम तोड़ चुके हैं, जबकि पांच फिलहाल वेंटिलेटर पर हैं।
मुंबई के लगभग हर इलाके में स्वाइन फ्लू के मामले सामने आ रहे हैं, लेकिन अंधेरी, मलाड, बांद्रा, पेडर रोड, मालाबार हिल, सांताक्रूज जैसे इलाकों से स्वाइन फ्लू के ज्यादा मरीज़ अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं। कुछ दिन पहले अंधेरी के एक अस्पताल में मेटिल्डा अल्मेडा नाम की महिला की स्वाइन फ्लू की वजह से मौत हो गई, जबकि यूपी से आए एक शख्स ने कस्तूरबा अस्पताल में दम तोड़ा।
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री दीपक सावंत का कहना है कि पूरे राज्य में सभी सरकार अस्पताल एच-1 एन-1 वायरस से लड़ने के लिए तैयार हैं। संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि बीएमसी सहित हर महानगरपालिका और जिला स्तर पर अस्पतालों में वॉर्ड और वेंटिलेटर आरक्षित कर दिए हैं। सभी अस्पतालों में टी-95 मास्कों के साथ-साथ लगभग आठ लाख टैमीफ्लू टैबलेट भी मुहैया कराए गए हैं। उन्होंने लोगों से भी अपील की कि किसी भी तरह के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
देशभर में राजस्थान, गुजरात, तेलंगाना के बाद स्वाइन फ्लू के सबसे ज्यादा मरीज़ महाराष्ट्र में ही हैं। स्वाइन फ्लू के लक्षण साधारण फ्लू जैसे ही होते हैं, जैसे - सर्दी, ज़ुकाम, गले या बदन में दर्द, बुखार, ठंड लगना आदि। जानकारों का कहना है कि ऐसे हालात में खुद दवा लेने के बजाए डॉक्टरी सलाह लेने से इस बीमारी की रोकथाम में ज्यादा मदद मिलेगी।
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