महाराष्ट्र की किताबों से गायब हो रही है मुगल हुकूमत
मुंबई:
इतिहास के पन्नों से मुग़ल हुकूमत गायब हो रही है. महाराष्ट्र स्टेट एजुकेशन बोर्ड ने मुगल हुकूमत की जानकारी कम कर दी है. अकबर की जानकारी केवल तीन वाक्य में दी गई है. महाराष्ट्र के स्कूलों में कक्षा-7 में पढ़ाई जाने वाली मध्यकालीन इतिहास की जानकारी देती इस किताब के कवर पेज के बड़े हिस्से पर कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक सभी जगहों पर केसरिया रंग का झंडा दिखाया गया है. इसके अलावा जहां पिछले पाठ्यक्रम में अकबर के प्रशासन की जानकारी को तीन पन्नों में पढ़ाया जा रहा था वहीं नए पाठ्यक्रम में अब इसे तीन वाक्य में समेट दिया गया है. पिछली किताब में जहां अकबर के काम की तारीफ की गई थी वहीं इसमें लिखा है, अकबर मुगल वंश का सबसे शक्तिशाली राजा था, जब उसने भारत को एक केंद्रीय सत्ता के अधीन लाने की कोशिश की तो उसे कड़े विरोध का सामना करना पड़ा. महाराणा प्रताप, चांद बीबी और रानी दुर्गावती ने उनके खिलाफ संघर्ष किया. उनका संघर्ष उल्लेखनीय है.
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ताजमहल का भी जिक्र नहीं
मुगलों द्वारा बनाई स्मारकों जैसे ताजमहल, कुतुब मिनार और लाल किला का जिक्र नहीं किया गया है. यही नहीं इसमें पहली महिला मुगल शासक रजिया सुल्ताना, मुहम्मद बिन तुगलक और शेर शाह सूरी जैसे बड़े शासकों का भी हिस्सा हटा दिया गया है.
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पहले अकबर का था यह उल्लेख
हालांकि पहले किताबों में अकबर को उदार शासक के तौर पर दिखाया गया था, जो शिक्षा एवं कला का संरक्षक था. उसे एक ऐसे शासक के रूप में दिखाया गया था जिसने जजिया कर को समाप्त किया और सती प्रथा पर रोक लगाई. साथ ही विधवाओं की फिर से शादी की अनुमति दी.
कन्नड़ सीखो या नौकरी छोड़ो
उधर, कर्नाटक में एक अलग बवाल मचा हुआ है. मेट्रो, ट्रेनों और स्टेशनों में हिन्दी का विरोध हो रहा है. फिर कर्नाटक के लिए अलग झंडे की मांग और अब कर्नाटक सरकार ने सभी बैंकों को सलाह दी है कि उनके कर्मचारी 6 महीने के अंदर कन्नड़ सीख लें नहीं तो उनकी नौकरी खतरे में पड़ सकती है.
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ताजमहल का भी जिक्र नहीं
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पहले अकबर का था यह उल्लेख
हालांकि पहले किताबों में अकबर को उदार शासक के तौर पर दिखाया गया था, जो शिक्षा एवं कला का संरक्षक था. उसे एक ऐसे शासक के रूप में दिखाया गया था जिसने जजिया कर को समाप्त किया और सती प्रथा पर रोक लगाई. साथ ही विधवाओं की फिर से शादी की अनुमति दी.
कन्नड़ सीखो या नौकरी छोड़ो
उधर, कर्नाटक में एक अलग बवाल मचा हुआ है. मेट्रो, ट्रेनों और स्टेशनों में हिन्दी का विरोध हो रहा है. फिर कर्नाटक के लिए अलग झंडे की मांग और अब कर्नाटक सरकार ने सभी बैंकों को सलाह दी है कि उनके कर्मचारी 6 महीने के अंदर कन्नड़ सीख लें नहीं तो उनकी नौकरी खतरे में पड़ सकती है.
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