Maharashtra Coronavirus: ठाणे के महानगर पालिका (मनपा) अस्पताल की ऐसी लापरवाही सामने आई है जिसने दो परिवारों को जिंदगी भर के जख्म दे दिए हैं. ठाणे के सोनावणे परिवार को अपना परिजन समझकर दो शवों का अंतिम संस्कार करना पड़ा तो गायकवाड़ परिवार अपने घर के बुजुर्ग के अंतिम दर्शन से वंचित रह गया. इस मामले में काफी दबाव बनने के बाद महाराष्ट्र सरकार ने जांच का आदेश दे दिया है.
ठाणे मनपा के कोविड अस्पताल ने एक अजीब कारनामा कर दिखाया है. अस्पताल ने 74 साल के बुजुर्ग भालचंद्र गायकवाड़ को पहले अस्पताल से गायब बताया लेकिन जब मामला पुलिस थाने पहुंचा और जांच शुरू हुई तो पता चला कि उनकी मौत तीन जुलाई को ही हो गई थी और जनार्दन सोनावणे समझकर उनका शव सोनावणे परिवार को सौंप दिया गया था. उन्होंने उनका अंतिम संस्कार भी कर दिया था.
गायकवाड़ परिवार को समझ में नहीं आ रहा है कि अब वह क्या करे? भालचंद्र गायकवाड़ के पुत्र मेहुल गायकवाड़ ने कहा कि ''हमको क्लियर नहीं है कि मेरे पिता की मौत हुई. अस्पताल को शव देने के पूर्व वेरिफिकेशन करना चाहिए.''
67 साल के जनार्दन सोनावणे के परिवार के साथ तो और भी बुरा हुआ. पहले तो अस्पताल प्रशासन ने उन्हें भालचंद गायकवाड़ का शव जनार्दन सोनावणे बताकर दे दिया. फिर अंतिम संस्कार करके उनका परिवार दुख से उबर ही नहीं पाया था कि अस्पताल से पता चला कि सोनावणे अभी जिंदा हैं. हैरानी के साथ खुशी तो मिली लेकिन वो भी ज्याद देर टिक नहीं पाई. अस्पताल जाने पर पता चला कि सात जुलाई को सोनावणे भी चल बसे. परिवार पूछ रहा है जब वो जिंदा थे तो अचानक मौत कैसे हो गई?
जनार्दन सोनावणे के रिश्तेदार राजेश गडे कहते हैं कि ''गायकवाड़ के मामले को खत्म करने के लिए जिंदा सोनवणे को कल अस्पताल ने मार दिया. अस्पताल की पूरी लापरवाही है.''
इस बीच बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने दोनों परिवारों को साथ लेकर राज्यपाल से मुलाकात की और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. किरीट सोमैया ने कहा कि राज्यपाल ने दोनों परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की और जांच का आश्वासन दिया.
अब राज्य सरकार ने मामले की जांच का आदेश दिया है. ठाणे मनपा के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ चारुदत्त शिंदे का तबादला भी कर दिया गया है. हैरानी की बात है कि मुंबई में भी कोरोना के मरीजों को गायब बताने फिर उनका शव अस्पताल के बाथरूम और पोस्टमार्टम केंद्र में मिलने या लावारिस समझकर अंतिम संस्कार कर देने के आधा दर्जन मामले होने के बाद भी दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का दावा किया गया था लेकिन लगता है दावे सिर्फ वादों तक रह गए. लिहाजा मुम्बई के बाद अब ठाणे में लापरवाही देखने को मिल रही है.
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