महाराष्‍ट्र जातीय हिंसा: लोकसभा में कांग्रेस ने कहा, पीएम मोदी 'मौनी बाबा' नहीं हो सकते, BJP बोली-Cong की बांटो और शासन करो की राजनीति

राज्यसभा और लोकसभा में विपक्ष के सदस्‍यों ने महाराष्ट्र में जातीय हिंसा का मुद्दा उठाया. राज्‍यसभा में सभापति एम वेंकैया नायडू ने इसकी अनुमति नहीं दी और सदन की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी

महाराष्‍ट्र जातीय हिंसा: लोकसभा में कांग्रेस ने कहा, पीएम मोदी 'मौनी बाबा' नहीं हो सकते, BJP बोली-Cong की बांटो और शासन करो की राजनीति

महाराष्‍ट्र जातीय हिंसा का मामला लोकसभा और राज्‍यसभा में भी उठा

नई दिल्ली:

राज्यसभा और लोकसभा में विपक्ष के सदस्‍यों ने महाराष्ट्र में जातीय हिंसा का मुद्दा उठाया. राज्‍यसभा में सभापति एम वेंकैया नायडू ने इसकी अनुमति नहीं दी. वहीं लोकसभा में कांग्रेस नेता मलिल्कार्जुन खड़गे ने कहा कि कार्यक्रम में किसने दखल दिया था? उन्‍होंने कहा कि समाज में बंटवारा करने के लिए, कट्टर हिंदुत्ववादी जो वहां आरएसएस के लोग हैं और इसके पीछे उनका हाथ है. उन्‍होंने कहा कि महाराष्ट्र हिंसा पर पीएम मोदी चुप नहीं रह सकते! वह ऐसे मुद्दों पर 'मौनी बाबा' कैसे हो सकते हैं. 

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मलिकार्जुन खड़गे ने कहा कि देश के दलितों पर अत्‍याचार हो रहा है और जहां-जहां बीजेपी की सरकार वहां ज्‍यादा-ज्‍यादा दंगे होते हैं. वहीं संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने कहा कि महाराष्‍ट्र में जो आग लगी है उसको भड़काने का काम राहुल गांधी और कांग्रेस कर रही है. उन्‍होंने कहा कि कांग्रेस हिंसा पर राजनीति कर रही है.उन्‍होंने कहा कि कांग्रेस बांटो और शासन करो की राजनीति कर रही है. 

उन्‍होंने कहा कि महाराष्‍ट्र में जो समस्‍या है कांग्रेस उसका निदान नहीं करना चाहती है इसलिए मुद्दे को भटका रही है. कांग्रेस गुजरात हार चुकी है और हिमाचल हार चुकी है. उन्‍होंने कहा कि कांग्रेस बांटो और शासन करो की राजनीति कर रही है और सबका साथ सबका विकास करके नरेंद्र मोदी जी देश को साथ ले रहे हैं.

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राज्‍यसभा में सुबह सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति ने जरूरी दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए. इसके बाद उन्होंने शून्यकाल शुरू करने की घोषणा करते हुए नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद से अपना मुद्दा उठाने को कहा. इसी दौरान बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा ने महाराष्ट्र में जातीय हिंसा का मुद्दा उठाने का प्रयास किया और आरोप लगाया कि दलितों के खिलाफ हिंसा के लिए भाजपा तथा आरएसएस जिम्मेदार है. कुछ अन्य सदस्यों ने भी यह मुद्दा उठाने का प्रयास किया और कहा कि उन्होंने इस पर चर्चा के लिए नोटिस दिए हैं.

लेकिन सभापति ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी और कहा कि उनकी बातें कार्यवाही में शामिल नहीं की जाएंगी. इस बीच सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के कई सदस्य अपने स्थानों पर खडे हो गए. नायडू ने कहा कि राजनीति करने से कोई लाभ नहीं होगा और वह सबकी बात सुनने को तैयार हैं. इसके बाद अचानक उन्होंने 11 बजकर करीब 10 मिनट पर सदन की बैठक दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी.

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एक बार के स्थगन के बाद बैठक जब फिर शुरू हुई तो सदन में वही नजारा देखने को मिला. विपक्ष के कई सदस्य अपने स्थान पर खड़े होकर कुछ कहने का प्रयास कर रहे थे. सभापति नायडू ने कहा कि उन्हें नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद सहित कई सदस्यों का नोटिस मिला था और उन्होंने नेता प्रतिपक्ष को बोलने की अनुमति भी दी थी.

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इस बीच, सदन में हंगामा मचता रहा. सभापति ने इसे देखते हुए बैठक को महज एक मिनट के भीतर ही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया.

 

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