
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर शिवसेना (Shiv Sena) ने अपना घोषणापत्र जारी कर दिया है जिसमें किसानों और ग्रामीण महाराष्ट्र को लेकर कई सारे वादे किए गए. लेकिन सबसे चौंकानी वाली बात यह थी कि इस घोषणा पत्र में अयोध्या में राम मंदिर का जिक्र नहीं किया गया है. इस घोषणा पत्र की जो खास बाते हैं, उनमें किसानों की कर्जमाफी, गरीब किसानों को हर साल 10 हज़ार की आर्थिक मदद, ज़रूरतमंदों को 10 रुपये में खाना, 1000 भोजनालय, बिजली की दरों में कटौती, बेहतर अस्पताल, नॉन रेजिडेंट इलाकों में नाइट लाइफ जैसे वादे किए गए हैं. इसके साथ ही हाल में आरे इलाके में पेड़ों की कटाई का भी मुद्दे का भी कोई जिक्र नहीं किया गया है.
घोषणापत्र में राम मंदिर का जिक्र न होने की बात पर जब इस पर सवाल किया गया तो पार्टी प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी का कहना था कि उनकी पार्टी 53 सालों से राम मंदिर की बात करती आई और इस पर शिवसेना का क्या रुख है सबको पता है. यहां गौर करने वाली बात यह है कि इसी साल लोकसभा चुनाव से पहले तक पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे राम मंदिर की रट लगाए थे और बड़े जोर शोर से अयोध्या भी गए थे. दरअसल राम मंदिर का जिक्र न होना शिवसेना में बदलाव का बड़ा संकेत है. जो इस चुनाव में साफ दिखाई दे रहा है.
3 बड़े बदलाव
- ऐसा पहली बार है कि शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के परिवार का कोई सदस्य चुनाव लड़ने जा रहा है. उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे वर्ली से चुनावी मैदान में हैं.
- वर्ली विधानसभा इलाके में मराठी के साथ हिंदी, गुजराती, उर्दू और दक्षिण भारतीय भाषाओं में भी होर्डिंग लग गए.
- शिवाजी पार्क में पार्टी के दशहरा सम्मेलन में उद्धव ठाकरे ने मंच से ऐलान किया कि उनकी पार्टी सिर्फ धनगर,ओबीसी और दूसरे पिछड़े वर्गों के साथ ही नहीं है, देशभक्त मुसलमानों के अधिकारों की लड़ाई में भी साथ देगी. उन्होंने याद दिलाया कि छत्रपत्री शिवाजी महाराज की सेना में भी मुसलमान सैनिक थे.
शिवसेना के मेनिफेस्टो से गायब है राम मंदिर और आरे का मुद्दा
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