
बहुओं ने दिया सास की अर्थी को कंधा दिया. महाराष्ट्र के बीड़ में एक अद्भुत वाकया सामने आया. भारत में किसी की मृत्यु होने पर अमूमन उसके पुत्र और दूसरे पुरुष ही अर्थी को कंधा देते हैं. औरतों को दूर ही रखा जाता है. हालांकि आजकल घर की लड़कियों को अग्नि देने का मौका मिलना शुरू हुआ है. लेकिन बीड़ में जो हुआ वह अनोखा था. घर की चार बहुओं ने सास की अर्थी को कंधा देकर मिसाल कायम की.
दुःख की घड़ी में भी समाज को दिशा देने का काम करने वाली इन चारों बहुओं का नाम लता नवनाथ नाईकवाडे, उषा राधाकिसन नाईकवाडे, मनीषा जालिंदर नाईकवाडे और मीना मच्छिंद्र नाईकवाडे है.
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बीड़ शहर के काशीनाथ नगर निवासी 83 साल की सुंदरबाई दगडू नाईकवाडे की सोमवार की सुबह मृत्यु हो गई. अंतिम संस्कार के लिए जब बेटे और दामादों ने अपने कंधे पर अर्थी उठाई तो घर की चारों बहुएं भी सामने आ गईं और अर्थी को कंधा देने की जिद पकड़ ली. घर वालों ने भी बिना कोई विरोध किए उन्हें अर्थी को कंधा देने दिया.
देश में यह आम धारणा है कि सास और बहू में आपस में कभी नहीं पटती है, लेकिन सुंदरबाई और उनकी बहुएं अपवाद हैं.
सुंदरबाई ने अपनी चारों बहुओं को बेटी की तरह रखा था. कभी किसी से कोई भेदभाव नहीं किया. इसी का असर है कि बहुओं ने उनकी अर्थी को कंधा देकर उन्हें अंतिम विदाई दी.
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