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This Article is From Mar 10, 2020

... तो इस तरह मध्य प्रदेश में BJP के पाले में जा सकती है गेंद, समझें, सियासी घमासान के आंकड़ों का खेल

.भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पार्टी ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा भेजने के लिए तैयार है. केंद्र में उन्हें मंत्री भी बनाया जा सकता है.

... तो इस  तरह मध्य प्रदेश में BJP के पाले में जा सकती है गेंद, समझें, सियासी घमासान के आंकड़ों का खेल
सीएम कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

मध्य प्रदेश में सियासी ड्रामा चल रहा है. यहां मुख्यमंत्री कमलनाथ का संकट बढ़ता हुआ दिख रहा है. इसी बीच सोमवार को करीब 20 मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, हालांकि, आठ मंत्री सीएम कमलनाथ की सोमवार शाम को हुई बैठक में नहीं पहुंचे. आपको बता दें कि सिंधिया खेमे के कुछ मंत्री पहले ही बेंगलुरु जा चुके हैं. कुल 17 विधायक बेंगलुरु गए हैं जिससे कमलनाथ सरकार का संकट बढ़ गया है. वहीं कमलनाथ ने कहा है कि माफ़िया की मदद से सरकार गिराने की कोशिश कर रहे हैं हम उनकी कोशिश सफल नहीं होने देंगे. वहीं रिपोर्ट्स हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम सकते हैं. 

न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार की देर रात पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ अपने आवास पर बैठक की. बैठक में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी शामिल रहे.भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पार्टी ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा भेजने के लिए तैयार है. केंद्र में उन्हें मंत्री भी बनाया जा सकता है. कमलनाथ सरकार के गिरने की स्थिति में बनने वाली नई सरकार में सिंधिया खेमे को एक उपमुख्यमंत्री पद भी भाजपा दे सकती है. सूत्रों का यह भी कहना है कि सिंधिया तक बात पहुंचा दी गई है. 

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यहां अगर आंकड़ों का गेम देखें तो गेंद भारतीय जनता पार्टी के पाले में जाती दिख रही है. अभी मध्य प्रदेश विधानसभा में 230 सीटें हैं, जिसमें से दो विधायकों के निधन होने की वजह से दो सीटें रिक्त हैं. ऐसे में फिलहाल सदस्यों की कुल संख्या 228 है. ऐसे में बहुमत का आंकड़ा 115 हुआ. अभी कांग्रेस के पास 114, भाजपा के पास 107, सपा के पास 1, बसपा के पास 2 और निर्दलीय चार विधायक हैं. सपा, बसपा और निर्दलीय विधायकों का कांग्रेस को समर्थन है. 

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अगर बेंगलुरु गए 17 विधायक इस्तीफा दे देते हैं तो विधानसभा के सदस्यों की संख्या 211 रह जाती है. ऐसे में बहुमत का आंकड़ा होगा 106. कांग्रेस के पास केवल 97 विधायक रह जाएंगे और भाजपा के साथ 107 विधायक होंगे. अगर सपा, बसपा और निर्दलीय विधायक भी कांग्रेस को समर्थन देते हैं तो वह बहुमत का आंकड़ा पार नहीं कर पाएगी. इन सबके समर्थन के साथ कांग्रेस के पास 104 विधायक होंगे. इससे साफ जाहिर हो रहा है कि इस तरह सत्ता भाजपा के हाथों में जा सकती है.

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