नई दिल्ली:
पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल तेजिंदर सिंह ने मंगलवार को सेना प्रमुख जनरल वी के सिंह तथा चार अन्य के खिलाफ मानहानि का आपराधिक मामला चलाने की अपनी शिकायत के संबंध में दिल्ली उच्च न्यायालय में गवाही दी।
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सुदेश कुमार के समक्ष अपने बयान दर्ज कराते हुए पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा कि सेना मुख्यालय द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह झूठे हैं। अदालत ने पूर्व में तेजिंदर सिंह को अपनी शिकायत के समर्थन में सबूतों के रिकार्ड पहले उपलब्ध कराने को कहा था।
तेजिंदर सिंह ने अदालत को बताया कि इस वर्ष तीन से पांच मार्च के बीच कई मीडिया रिपोर्टों में यहां, खासतौर पर साउथ ब्लाक में मोबाइल फोन की ‘गैर कानूनी निगरानी’ के कथित रूप से आदेश दिए जाने के मामले में सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह पर अंगुली उठायी गयी थी।
उन्होंने कहा कि इन मीडिया रिपोर्टों से जनता का ध्यान हटाने के लिए सेना मुख्यालय के मीडिया सेल ने पांच मार्च को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की। मीडिया रिपोर्टों में जनरल वीके सिंह समेत सेना मुख्यालय के वरिष्ठ पदाधिकारियों पर अंगुली उठायी गई थी।
तेजिंदर सिंह ने कहा कि प्रेस विज्ञप्ति में उनका नाम लेते हुए उनके खिलाफ चार आरोप लगाए गए जो सभी ‘झूठे’ हैं। उन्होंने कहा कि प्रेस विज्ञप्ति में यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने टाट्रा एंड वेक्ट्रा लिमिटेड की ओर से रिश्वत की पेशकश की। यह कंपनी बीईएमएल को वाहनों की आपूर्ति करती है।
तेजिंदर सिंह ने अदालत में कहा, ‘आरोप यह था कि मैंने टाट्रा एंड वेक्ट्रा लिमिटेड की ओर से रिश्वत की पेशकश की थी जो बीईएमएल को वाहनों की आपूर्ति करती है। यह आरोप पूरी तरह झूठे और मनगढंत हैं और मैं इनसे इनकार करता हूं।’ तेजिंदर सिंह की शिकायत का संज्ञान लेते हुए अदालत ने पिछली सुनवाई के दौरान उनसे सेना प्रमुख तथा चार अन्य के खिलाफ लगाए गए आरोपों के समर्थन में सबूत रिकार्ड कराने को कहा था।
सेना प्रमुख वीके सिंह के अलावा तेजिंदर सिंह ने वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ एसके सिंह, लेफ्टिनेंट जनरल बीएस ठाकुर (डीजी एमआई), मेजर जनरल एसएल नरसिंहन (अतिरिक्त जन सूचना महानिदेशक) तथा लेफ्टिनेंट कर्नल हितेन साहनी का भी शिकायत में नाम दिया गया है। शिकायत में कहा गया है कि इन्होंने तेजिंदर सिंह के खिलाफ झूठे आरोप लगाने के लिए अपने सरकारी पद, शक्ति तथा प्राधिकार का दुरूपयोग किया।
तेजिंदर सिंह के वकील ने कहा था कि सेना अधिकारियों द्वारा पांच मार्च को जारी की गयी प्रेस विज्ञप्ति गैर कानूनी है क्योंकि वे अधिकारी ऐसा करने के लिए अधिकृत नहीं थे और अधिकारी सीधे मीडिया को संबोधित नहीं कर सकते। सेना प्रमुख ने मीडिया साक्षात्कारों में दावा किया था कि हाल ही में सेवानिवृत्त हुए एक लाबिस्ट ने उन्हें एक कंपनी विशेष द्वारा निर्मित ‘दोयम दर्जे’ के वाहनों की खरीद संबंधी फाइल को मंजूरी देने के लिए 14 करोड़ रूपये की रिश्वत की पेशकश की थी और उन्होंने तुरंत इसकी सूचना रक्षा मंत्री को दी थी।
राज्यसभा में एंटनी द्वारा खुद से दिए गए बयान में बताया गया था कि सेना प्रमुख ने रक्षा मंत्री को तेजिंदर सिंह के रिश्वत की पेशकश संबंधी जानकारी दी थी जिसे सुनकर वह सकते में आ गए थे। वीके सिंह ने रक्षा मंत्री से संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने को भी कहा था। मंत्री ने कहा था कि सेना प्रमुख हालांकि अज्ञात कारणों से मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहते थे।
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सुदेश कुमार के समक्ष अपने बयान दर्ज कराते हुए पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा कि सेना मुख्यालय द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह झूठे हैं। अदालत ने पूर्व में तेजिंदर सिंह को अपनी शिकायत के समर्थन में सबूतों के रिकार्ड पहले उपलब्ध कराने को कहा था।
तेजिंदर सिंह ने अदालत को बताया कि इस वर्ष तीन से पांच मार्च के बीच कई मीडिया रिपोर्टों में यहां, खासतौर पर साउथ ब्लाक में मोबाइल फोन की ‘गैर कानूनी निगरानी’ के कथित रूप से आदेश दिए जाने के मामले में सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह पर अंगुली उठायी गयी थी।
उन्होंने कहा कि इन मीडिया रिपोर्टों से जनता का ध्यान हटाने के लिए सेना मुख्यालय के मीडिया सेल ने पांच मार्च को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की। मीडिया रिपोर्टों में जनरल वीके सिंह समेत सेना मुख्यालय के वरिष्ठ पदाधिकारियों पर अंगुली उठायी गई थी।
तेजिंदर सिंह ने कहा कि प्रेस विज्ञप्ति में उनका नाम लेते हुए उनके खिलाफ चार आरोप लगाए गए जो सभी ‘झूठे’ हैं। उन्होंने कहा कि प्रेस विज्ञप्ति में यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने टाट्रा एंड वेक्ट्रा लिमिटेड की ओर से रिश्वत की पेशकश की। यह कंपनी बीईएमएल को वाहनों की आपूर्ति करती है।
तेजिंदर सिंह ने अदालत में कहा, ‘आरोप यह था कि मैंने टाट्रा एंड वेक्ट्रा लिमिटेड की ओर से रिश्वत की पेशकश की थी जो बीईएमएल को वाहनों की आपूर्ति करती है। यह आरोप पूरी तरह झूठे और मनगढंत हैं और मैं इनसे इनकार करता हूं।’ तेजिंदर सिंह की शिकायत का संज्ञान लेते हुए अदालत ने पिछली सुनवाई के दौरान उनसे सेना प्रमुख तथा चार अन्य के खिलाफ लगाए गए आरोपों के समर्थन में सबूत रिकार्ड कराने को कहा था।
सेना प्रमुख वीके सिंह के अलावा तेजिंदर सिंह ने वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ एसके सिंह, लेफ्टिनेंट जनरल बीएस ठाकुर (डीजी एमआई), मेजर जनरल एसएल नरसिंहन (अतिरिक्त जन सूचना महानिदेशक) तथा लेफ्टिनेंट कर्नल हितेन साहनी का भी शिकायत में नाम दिया गया है। शिकायत में कहा गया है कि इन्होंने तेजिंदर सिंह के खिलाफ झूठे आरोप लगाने के लिए अपने सरकारी पद, शक्ति तथा प्राधिकार का दुरूपयोग किया।
तेजिंदर सिंह के वकील ने कहा था कि सेना अधिकारियों द्वारा पांच मार्च को जारी की गयी प्रेस विज्ञप्ति गैर कानूनी है क्योंकि वे अधिकारी ऐसा करने के लिए अधिकृत नहीं थे और अधिकारी सीधे मीडिया को संबोधित नहीं कर सकते। सेना प्रमुख ने मीडिया साक्षात्कारों में दावा किया था कि हाल ही में सेवानिवृत्त हुए एक लाबिस्ट ने उन्हें एक कंपनी विशेष द्वारा निर्मित ‘दोयम दर्जे’ के वाहनों की खरीद संबंधी फाइल को मंजूरी देने के लिए 14 करोड़ रूपये की रिश्वत की पेशकश की थी और उन्होंने तुरंत इसकी सूचना रक्षा मंत्री को दी थी।
राज्यसभा में एंटनी द्वारा खुद से दिए गए बयान में बताया गया था कि सेना प्रमुख ने रक्षा मंत्री को तेजिंदर सिंह के रिश्वत की पेशकश संबंधी जानकारी दी थी जिसे सुनकर वह सकते में आ गए थे। वीके सिंह ने रक्षा मंत्री से संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने को भी कहा था। मंत्री ने कहा था कि सेना प्रमुख हालांकि अज्ञात कारणों से मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहते थे।
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