यह ख़बर 19 अगस्त, 2011 को प्रकाशित हुई थी

जरूरी नहीं लोकपाल के दायरे में न्यायपालिका हो : अन्ना पक्ष

खास बातें

  • हजारे पक्ष ने संकेत दिया कि यदि सरकार एक अच्छा न्यायिक जवाबदेही विधेयक लाती है तो जरूरी नहीं कि वे न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे में लाने पर जोर दें।
नई दिल्ली:

अन्ना हजारे पक्ष ने बृहस्पतिवार को संकेत दिया कि यदि सरकार एक अच्छा न्यायिक जवाबदेही विधेयक लाती है तो जरूरी नहीं कि वे न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे में लाने पर जोर दें। अन्ना हजारे के सहयोगी और आरटीआई कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने यह भी कहा कि यदि अन्ना हजारे को सेहत बिगड़ने के आधार पर जबरदस्ती रामलीला मैदान से ले जाया गया तो अन्ना पानी पीना भी बंद कर देंगे। उन्होंने तिहाड़ जेल के बाहर संवाददाताओं से कहा, प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में रहना चाहिए। जहां तक न्यायपालिका की बात है तो यदि जन लोकपाल विधेयक के साथ एक अच्छा न्यायिक जवाबदेही विधेयक लाया जाता है तो इस बारे में उदार हुआ जा सकता है। केजरीवाल ने कहा कि यह जरूरी नहीं कि अनशन 15 दिन तक चलेगा। यह इस पर निर्भर करेगा कि सरकार मांगों पर किस तरह प्रतिक्रिया देती है। हजारे अब तक तिहाड़ जेल में क्यों हैं, इस सवाल पर केजरीवाल ने कहा कि अन्ना अभी रामलीला मैदान नहीं जा सकते क्योंकि यह अभी तैयार नहीं है। इससे पहले पूर्व कानून मंत्री और अन्ना की टीम में शामिल शांति भूषण ने दावा किया था कि हजारे पक्ष द्वारा प्रस्तावित लोकपाल विधेयक के प्रावधान पूरी तरह संवैधानिक हैं। उन्होंने कहा, मैं विश्वास दिला सकता हूं कि वे संवैधानिक हैं और मेरा मानना है कि सरकार के लिए (मौजूदा) विधेयक को संसद से वापस लेना और अन्ना से बातचीत करने के बाद नये सिरे से विधेयक पेश करना ठीक होगा।


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