यह ख़बर 20 जून, 2011 को प्रकाशित हुई थी

लोकपाल पर मतभेद जस के तस, तेवर पड़े नरम

खास बातें

  • लोकपाल विधेयक के मसौदे को लेकर सोमवार को हुई सरकार और सामाजिक संगठनों के सदस्यों की बैठक में दोनों पक्षों के तेवर नरम रहे।
नई दिल्ली:

लोकपाल विधेयक के मसौदे को लेकर सोमवार को हुई सरकार और सामाजिक संगठनों के सदस्यों की बैठक में दोनों पक्षों के तेवर नरम रहे। पहली बार यह बैठक सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई, जहां कटुता नदारद थी। दोनों पक्षों में हालांकि कई मुद्दों पर असहमति अभी भी बरकरार है। जाने-माने गांधीवादी अन्ना हजारे की अगुवाई में सामाजिक संगठनों के सदस्यों और सरकार के प्रतिनिधियों ने बैठक को 'सौहार्दपूर्ण' बताया। बैठक को सरकार ने बड़ी प्रगति करार दिया तो सामाजिक संगठन के सदस्यों ने कहा कि कई अहम मुद्दों पर स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने बैठक को 'बड़ी प्रगति' करार देते हुए कहा कि सरकार और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच व्यापक सहमति रही। दोनों पक्षों की सातवीं बैठक के बाद संवाददाताओं को सम्बोधित करते हुए सिब्बल ने कहा, "हमारी बैठक तीन घंटे चली। कई मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई। हमने खुलकर विचारों का आदान प्रदान किया और हमारे बीच व्यापक सहमति रही।" उन्होंने कहा, "यह हमारे लिए बड़ी प्रगति है। दोनों पक्ष चाहते हैं कि हम सहमति पर पहुंचें और जिन मुद्दों पर असहमति होगी, उस पर भी हम चर्चा करेंगे।"सिब्बल ने कहा कि बैठक सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई। मतभेदों और असहमतियों पर हमारे रुख स्पष्ट थे। हमारे बीच 80 से 85 फीसदी मुद्दों पर सहमति थी। उन्होंने कहा कि अहम मुद्दों पर सरकार राजनीतिक दलों से चर्चा करेगी। इस मुद्दे पर जुलाई महीने में सर्वदलीय बैठक बुलाई जा सकती है। सिब्बल ने कहा कि विधेयक को संसद के आगामी मानसून सत्र में पेश कर दिया जाएगा। सिब्बल ने जहां दावा किया कि 80 से 85 फीसदी मुद्दों पर सहमति बन गई है वहीं थोड़ी ही देर बाद सामाजिक संगठन के सदस्यों के उनके इस दावे का खंडन कर दिया। संगठन के सदस्यों का कहना था कि सिर्फ 60 फीसदी मुद्दों पर ही सहमति बन सकी है। सामाजिक संगठन के सदस्यों ने भी बैठक को हालांकि सौहार्दपूर्ण बताया लेकिन साथ ही यह भी कहा कि दोनों पक्षों के बीच उभरे मतभेद ज्यों के त्यों बने हुए हैं। इसमें बल्कि दो और मतभेद के मुद्दे जुड़ गए हैं। अन्ना हजारे ने बैठक को 'अच्छा' करार देते कहा कि अंतत: बातचीत पटरी पर लौट आई। वकील प्रशांत भूषण ने बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा, "हमने दो नए मुद्दों पर चर्चा की। एक लोकपाल चयन समिति की नियुक्ति और दूसरा लोकपाल को हटाने से सम्बंधित था।" उन्होंने कहा, "मतभेद अभी भी बरकरार हैं। लेकिन बैठक का माहौल बहुत सौहार्दपूर्ण था।" सामाजिक संगठन के ही अन्य प्रतिनिधि अरविंद केजरीवाल ने कहा, "हमने लोकपाल चयन समिति में गैर राजनीतिक और स्वतंत्र लोगों को शामिल करने की बात अपने मसौदे में की है जबकि सरकार के मसौदे में नियुक्ति समिति में राजनीतिक लोगों को शामिल करने का प्रस्ताव है।" केजरीवाल ने कहा, "दोनों पक्षों के बीच कई मुद्दों पर असहमति थी लेकिन सभी के बारे में विस्तार से चर्चा हुई।" इससे पहले प्रशांत भूषण ने कहा कि अगली बैठक मंगलवार को होगी। "दोनों पक्ष एक दूसरे के समक्ष अपना-अपना मसौदा रखेंगे। मंत्रिमंडल को भेजे जाने वाले प्रस्ताव में दोनों पक्षों की असहमति से जुड़ी बातें भी होंगी।" उन्होंने कहा, "इन दो बैठकों में सर्वसम्मति तक पहुंचना मुश्किल होगा। हम जितना सम्भव हो सके कम करने की कोशिश करेंगे।" इस समिति में सरकार और सामाजिक संगठनों के पांच-पांच सदस्य हैं। उच्च स्तरों पर भ्रष्टाचार से निपटने के लिए लोकपाल विधेयक का प्रारूप तैयार करने के वास्ते अप्रैल में इस समिति का गठन किया गया था। शुरुआत के सौहार्द के बाद हाल के हफ्तों में दोनों पक्षों में प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने के मसले सहित विभिन्न मामलों पर तकरार जारी है। हाल ही दोनों पक्षों में तीखी बयानबाजी भी हुई। इस समिति में अन्ना हजारे और प्रशांत भूषण के अलावा शांति भूषण, संतोष हेगड़े और अरविंद केजरीवाल भी शामिल हैं। सरकार के प्रतिनिधियों में केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी, केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम, विधि मंत्री वीरप्पा मोइली, केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद और मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल शामिल हैं। बहरहाल, मंगलवार को इस समिति की आखिरी बैठक होगी। इस बैठक में दोनों पक्ष असहमति के मुद्दों पर अपने-अपने मसौदे एक दूसरे को सौंपेंगे। इन मुद्दों पर राजनीतिक दलों से चर्चा के बाद इसे मंत्रिमंडल में भेजा जाएगा।


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